The Magnificent Festival of Udaipur: Mewar Mahotsav 2023| Techniajz
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मेवाड़ महोत्सव 2023 क्या है और मेवाड़ महोत्सव क्यों मनाया जाता है?
उदयपुर वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए मेवाड़ उत्सव मनाता है। हालाँकि, त्योहार पूरे राजस्थान राज्य में मनाया जाता है, लेकिन इस महोत्सव का सबसे अच्छा अनुभव आप उदयपुर में कर सकते है।
मेवाड़ महोत्सव के दौरान पूरे शहर को सजाया जाएगा, खासकर स्थानीय बाजारों को, जो चमकदार रोशनी और रंगीन सजावटी वस्तुओ से सजाए जाएंगे। चूँकि गणगौर उत्सव भी इसी दौरान होता है इसलिए मेवाड़ उत्सव शहर की महिलाओं के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है।
उदयपुर वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए मेवाड़ उत्सव मनाता है। हालाँकि, त्योहार पूरे राजस्थान राज्य में मनाया जाता है, लेकिन इस महोत्सव का सबसे अच्छा अनुभव आप उदयपुर में कर सकते है।
मेवाड़ महोत्सव के दौरान पूरे शहर को सजाया जाएगा, खासकर स्थानीय बाजारों को, जो चमकदार रोशनी और रंगीन सजावटी वस्तुओ से सजाए जाएंगे। चूँकि गणगौर उत्सव भी इसी दौरान होता है इसलिए मेवाड़ उत्सव शहर की महिलाओं के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है।
मेवाड़ महोत्सव 2023 कब है?
इस वर्ष मेवाड़ महोत्सव 24 से 26 मार्च तक मनाया जाएगा। मेवाड़ उत्सव के दौरान उदयपुर का दौरा करने के लिए यहाँ आने वाले आगुन्तको के लिए एक आनंद का अनुभव करने के लिए बहुत ही अनुशंसित अनुभव होता है। मेवाड़ में वसंत के आगमन का जश्न मनाने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है।
राजस्थान की संस्कृति के अलावा मेवाड़ के गौरव और लोक संस्कृति का जश्न मनाने वाला गणगौर उत्सव भी नजदीक है। एक तरह से यह परंपरा एक जीवित विरासत है। होली के दूसरे दिन से गणगौर की सोलह दिवसीय पूजा शुरू हो जाती है। हर घर में एक साथ गणगौर की पूजा होती है। पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन के सहयोग से, इस लोक संस्कृति को हर्षोल्लाष से मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष मेवाड़ महोत्सव का आयोजन करता है। इस साल का आयोजन 24 मार्च से 26 मार्च तक होगा।
इस जीवंत विरासत के रंग जी-20 के प्रतिनिधियों को भी दिखाई देंगे। जी-20 की बैठक 21 मार्च से 23 मार्च तक उदयपुर शहर में होगी। ऐसे में पर्यटन विभाग जी-20 प्रतिनिधियों को मेवाड़ महोत्सव में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेगा। वे इस ऐतिहासिक उत्सव के भी साक्षी बन सकेंगे।
इस वर्ष मेवाड़ महोत्सव 24 से 26 मार्च तक मनाया जाएगा। मेवाड़ उत्सव के दौरान उदयपुर का दौरा करने के लिए यहाँ आने वाले आगुन्तको के लिए एक आनंद का अनुभव करने के लिए बहुत ही अनुशंसित अनुभव होता है। मेवाड़ में वसंत के आगमन का जश्न मनाने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है।
राजस्थान की संस्कृति के अलावा मेवाड़ के गौरव और लोक संस्कृति का जश्न मनाने वाला गणगौर उत्सव भी नजदीक है। एक तरह से यह परंपरा एक जीवित विरासत है। होली के दूसरे दिन से गणगौर की सोलह दिवसीय पूजा शुरू हो जाती है। हर घर में एक साथ गणगौर की पूजा होती है। पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन के सहयोग से, इस लोक संस्कृति को हर्षोल्लाष से मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष मेवाड़ महोत्सव का आयोजन करता है। इस साल का आयोजन 24 मार्च से 26 मार्च तक होगा।
इस जीवंत विरासत के रंग जी-20 के प्रतिनिधियों को भी दिखाई देंगे। जी-20 की बैठक 21 मार्च से 23 मार्च तक उदयपुर शहर में होगी। ऐसे में पर्यटन विभाग जी-20 प्रतिनिधियों को मेवाड़ महोत्सव में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेगा। वे इस ऐतिहासिक उत्सव के भी साक्षी बन सकेंगे।
मेवाड़ महोत्सव / मेवाड़ महोत्सव का इतिहास:
मेवाड़ महोत्सव इस मायने से भी अनूठा है कि क्योंकि यह धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के साथ-साथ मेवाड़ी परंपरा और संस्कृति को उत्सव के रूप में मनाने का अवसर प्रदान करता है। मेवाड़ महोत्सव 1979 में शुरू हुआ था। पर्यटन विभाग ने गणगौर महोत्सव और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस उत्सव का आयोजन शुरू किया था।
मेवाड़ महोत्सव सबसे पहले सिटी पैलेस के माणक चौक प्रांगण में आयोजित हुआ था। 1979 के इस समारोह में मेवाड़ राजघराने के सदस्य, विदेशी मेहमान और आम लोग शामिल हुए थे। विभाग ने उस समय सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं शुरू कीं।
मेवाड़ महोत्सव इस मायने से भी अनूठा है कि क्योंकि यह धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के साथ-साथ मेवाड़ी परंपरा और संस्कृति को उत्सव के रूप में मनाने का अवसर प्रदान करता है। मेवाड़ महोत्सव 1979 में शुरू हुआ था। पर्यटन विभाग ने गणगौर महोत्सव और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस उत्सव का आयोजन शुरू किया था।
मेवाड़ महोत्सव सबसे पहले सिटी पैलेस के माणक चौक प्रांगण में आयोजित हुआ था। 1979 के इस समारोह में मेवाड़ राजघराने के सदस्य, विदेशी मेहमान और आम लोग शामिल हुए थे। विभाग ने उस समय सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं शुरू कीं।
मेवाड़ महोत्सव/मेवाड़ महोत्सव कैसे मनाया जाता है?
मेवाड़ महोत्सव के इस उत्सव की शुरुआत भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों की पूजा के साथ होती है। इसके पश्चात एक "जुलूस यात्रा" का आयोजन किया जाता है, जहां प्रतिभागी शिव-पार्वती की मूर्तियों के साथ शहर के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हैं और पिछोला झील के गणगौर घाट की ओर बढ़ते हैं। जहाँ मूर्तियों को पवित्र जल में विसर्जित किया जाता है, और लोग अपने परिवारों की समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। अनुष्ठानों के बाद, लोक नृत्य किए जाते हैं, और कई अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मेवाड़ महोत्सव के इस उत्सव की शुरुआत भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों की पूजा के साथ होती है। इसके पश्चात एक "जुलूस यात्रा" का आयोजन किया जाता है, जहां प्रतिभागी शिव-पार्वती की मूर्तियों के साथ शहर के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हैं और पिछोला झील के गणगौर घाट की ओर बढ़ते हैं। जहाँ मूर्तियों को पवित्र जल में विसर्जित किया जाता है, और लोग अपने परिवारों की समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। अनुष्ठानों के बाद, लोक नृत्य किए जाते हैं, और कई अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मेवाड़ महोत्सव 2023 में होने वाले कार्यक्रम:
पर्यटन उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि मेवाड़ महोत्सव के पहले दिन 24 मार्च को शाम 4 बजे से शाम 6 बजे तक विभिन्न समुदायों द्वारा घंटाघर से गणगौर घाट तक गणगौर यात्रा निकाली जाएगी। उसके बाद शाम छह बजे से सात बजे तक रॉयल गणगौर नौका यात्रा पिछोला झील बस्सी घाट से गणगौर घाट के लिए रवाना होगी। शाम 7 बजे के बाद गणगौर घाट पर लोकनृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही आतिशबाजी का आयोजन भी होगा।
पर्यटन विभाग के उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि 25 मार्च को शाम 7 बजे गणगौर घाट पर सांस्कृतिक मेले के बाद राजस्थानी रंग में सजे विदेशी मेहमानो के लिए एक पोशाक प्रतियोगिता का आयोजन जाएगा। दूसरे दिन के कार्यक्रम में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम और राजस्थानी परिधान में सबसे अच्छे कपड़े पहने विदेशी जोड़ी के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन होगा।
उन्होंने बताया और बताया के कार्यक्रम का समापन 26 मार्च को 40 किलोमीटर दूर गोगुन्दा में रॉयल हाट बाजार, सांस्कृतिक शाम और गणगौर यात्रा के साथ होगा।
पर्यटन उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि मेवाड़ महोत्सव के पहले दिन 24 मार्च को शाम 4 बजे से शाम 6 बजे तक विभिन्न समुदायों द्वारा घंटाघर से गणगौर घाट तक गणगौर यात्रा निकाली जाएगी। उसके बाद शाम छह बजे से सात बजे तक रॉयल गणगौर नौका यात्रा पिछोला झील बस्सी घाट से गणगौर घाट के लिए रवाना होगी। शाम 7 बजे के बाद गणगौर घाट पर लोकनृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही आतिशबाजी का आयोजन भी होगा।
पर्यटन विभाग के उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि 25 मार्च को शाम 7 बजे गणगौर घाट पर सांस्कृतिक मेले के बाद राजस्थानी रंग में सजे विदेशी मेहमानो के लिए एक पोशाक प्रतियोगिता का आयोजन जाएगा। दूसरे दिन के कार्यक्रम में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम और राजस्थानी परिधान में सबसे अच्छे कपड़े पहने विदेशी जोड़ी के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन होगा।
उन्होंने बताया और बताया के कार्यक्रम का समापन 26 मार्च को 40 किलोमीटर दूर गोगुन्दा में रॉयल हाट बाजार, सांस्कृतिक शाम और गणगौर यात्रा के साथ होगा।
मेवाड़ फेस्टिवल 2023 के दौरान उदयपुर में घूमने के स्थान:
- प्रताप मेमोरियल (मोती मगरी)
- सिटी पैलेस
- लेक सिटी पैलेस
- आहार संग्रहालय
- पिछोला झील
- फतेह सागर झील
- बागोर की हवेली
- जग मंदिर
- मानसून पैलेस
- जगदीश मंदिर
- सहेलियों की बाड़ी
- बर्ड पार्क गुलाब बाग
- सुखाड़िया सर्किल
- भारतीय लोक कला मंडल
- शिल्पग्राम
- उदय सागर झील
- दूध तलाई झील
- जयसमंद झील
- नवलखा महल (गुलाब बाग)
- वैक्स म्यूजियम
- उदयपुर फिश एक्वेरियम
- विंटेज कार संग्रह
- क्रिस्टल गैलरी
- नागदा
- सज्जनगढ़ जैविक उद्यान
- बड़ी झील
- सहस्त्र बाहु मंदिर
- मेनार
- प्रताप गौरव केंद्र
- गोगुन्दा
- ऋषभदेव जी
- जगत मंदिर
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मेवाड़ महोत्सव 2023 में भाग लेने के लिए उदयपुर कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग द्वारा: डबोक हवाई अड्डा, जिसे महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है, शहर के उत्तर पूर्व में लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जेट एयरवेज, एयर इंडिया और स्पाइसजेट आदि की दिल्ली, मुंबई, जयपुर, बैंगलोर, और हैदराबाद के लिए नियमित हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग द्वारा: उदयपुर कई प्रमुख भारतीय शहरों जैसे चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर, जयपुर, आगरा, दिल्ली, मुंबई और खजुराहो से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। मेवाड़ एक्सप्रेस, ग्वालियर-उदयपुर एक्सप्रेस, बांद्रा-उदयपुर एक्सप्रेस, चेतक एक्सप्रेस और अनन्या एक्सप्रेस आदि की दैनिक सेवा उपलब्ध हैं। प्रसिद्ध पैलेस ऑफ़ व्हील्स का भी उदयपुर पड़ाव है।
सड़क मार्ग द्वारा: सभी बड़े भारतीय शहर जैसे चित्तौड़गढ़, जयपुर, अजमेर, अजमेर, सवाई माधोपुर/रणथंभौर, जयपुर, खजुराहो, बीकानेर, आगरा, दिल्ली, मुंबई, और अहमदाबाद से उदयपुर राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के माध्यम से जुड़ा हुआ हैं। और । राष्ट्रीय राजमार्ग 8 उदयपुर को दिल्ली और मुंबई से जोड़ता है।
हवाई मार्ग द्वारा: डबोक हवाई अड्डा, जिसे महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है, शहर के उत्तर पूर्व में लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जेट एयरवेज, एयर इंडिया और स्पाइसजेट आदि की दिल्ली, मुंबई, जयपुर, बैंगलोर, और हैदराबाद के लिए नियमित हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग द्वारा: उदयपुर कई प्रमुख भारतीय शहरों जैसे चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर, जयपुर, आगरा, दिल्ली, मुंबई और खजुराहो से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। मेवाड़ एक्सप्रेस, ग्वालियर-उदयपुर एक्सप्रेस, बांद्रा-उदयपुर एक्सप्रेस, चेतक एक्सप्रेस और अनन्या एक्सप्रेस आदि की दैनिक सेवा उपलब्ध हैं। प्रसिद्ध पैलेस ऑफ़ व्हील्स का भी उदयपुर पड़ाव है।
सड़क मार्ग द्वारा: सभी बड़े भारतीय शहर जैसे चित्तौड़गढ़, जयपुर, अजमेर, अजमेर, सवाई माधोपुर/रणथंभौर, जयपुर, खजुराहो, बीकानेर, आगरा, दिल्ली, मुंबई, और अहमदाबाद से उदयपुर राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के माध्यम से जुड़ा हुआ हैं। और । राष्ट्रीय राजमार्ग 8 उदयपुर को दिल्ली और मुंबई से जोड़ता है।
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