Ramadan 2023: When, How It is Celebrated and Benefits of Roza|Techniajz
रमजान क्या है?
रमजान अथवा रमदान । यह मुसलमानों का एक बहुत बड़ा धार्मिक महीना माना जाता है इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से यह साल का नौवां महीना होता है इसे अरबी भाषा में रमदान भी कहा जाता है। रमजान शब्द एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता हैं "झुलसा देने वाला"। रमजान के महीने में रोजा रखने का रिवाज होता हैं। रमजान का महीना चांद दिखने के आधार पर 29 या 30 दिनों का होता है और रिवायत के मुताबिक अल्लाह ने इस नेक महीने को तीन हिस्सों में बांटा है और हर हिस्सा दस - दस दिन का होता हैं और हर 10 दिन के एक हिस्से को अशरा कहा जाता है। अशरा एक अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब 10 होता है, मतलब रमजान का महीना में तीन अशरे होते है और इन तीन अशरो से रमजान का एक महीना बनता है।
पहला अशरा: (रमजान के पहले दस दिन) - रहमत के दिन
दूसरा अशरा (दूसरा दस दिन) - क्षमा के दिन
तीसरा अशरा (आखिरी दस दिन) - जहन्नुम से पनाह लेने के दिन
रमजान अथवा रमदान । यह मुसलमानों का एक बहुत बड़ा धार्मिक महीना माना जाता है इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से यह साल का नौवां महीना होता है इसे अरबी भाषा में रमदान भी कहा जाता है। रमजान शब्द एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता हैं "झुलसा देने वाला"। रमजान के महीने में रोजा रखने का रिवाज होता हैं। रमजान का महीना चांद दिखने के आधार पर 29 या 30 दिनों का होता है और रिवायत के मुताबिक अल्लाह ने इस नेक महीने को तीन हिस्सों में बांटा है और हर हिस्सा दस - दस दिन का होता हैं और हर 10 दिन के एक हिस्से को अशरा कहा जाता है। अशरा एक अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब 10 होता है, मतलब रमजान का महीना में तीन अशरे होते है और इन तीन अशरो से रमजान का एक महीना बनता है।
पहला अशरा: (रमजान के पहले दस दिन) - रहमत के दिन
दूसरा अशरा (दूसरा दस दिन) - क्षमा के दिन
तीसरा अशरा (आखिरी दस दिन) - जहन्नुम से पनाह लेने के दिन
रमजान महीने का महत्व :
मुस्लिम धर्म के अंतर्गत रमजान का महीना लोगों में खासतौर से प्रेम और अल्लाह के प्रति विश्वास को जगाने के लिए मनाया जाता है। इस महीने का खास महत्व होता हैं कि क्योंकि इस महीने के अंतर्गत मुस्लिम धर्म के लोगों में गलत कार्य को न करने तथा साथ ही दान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता हैं जिसके अनुसार गरीबों को जकात और फितरी के रूप में दान दिया जाता है।
रमजान के महीने को इबादत का महीना भी कहा जाता है। रमजान के दौरान, व्यक्ति अपनी आदतों, सोच और दिमाग को साफ करता है, और अल्लाह के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करने की उम्मीद में अधिक से अधिक पुण्य कार्य करता है। 12 महीनो में किया जाने वाले दान के बदले इस महीने में दान देने पर सबसे ज्यादा पुण्य मिलता है। रमज़ान के महीने में रोज़े रखने से खुद के द्वारा की गयी गलतियों की माफी अल्लाह से मांगने का मौका भी अवश्य ही मिल जाता है।
मुस्लिम धर्म के अंतर्गत रमजान का महीना लोगों में खासतौर से प्रेम और अल्लाह के प्रति विश्वास को जगाने के लिए मनाया जाता है। इस महीने का खास महत्व होता हैं कि क्योंकि इस महीने के अंतर्गत मुस्लिम धर्म के लोगों में गलत कार्य को न करने तथा साथ ही दान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता हैं जिसके अनुसार गरीबों को जकात और फितरी के रूप में दान दिया जाता है।
रमजान के महीने को इबादत का महीना भी कहा जाता है। रमजान के दौरान, व्यक्ति अपनी आदतों, सोच और दिमाग को साफ करता है, और अल्लाह के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करने की उम्मीद में अधिक से अधिक पुण्य कार्य करता है। 12 महीनो में किया जाने वाले दान के बदले इस महीने में दान देने पर सबसे ज्यादा पुण्य मिलता है। रमज़ान के महीने में रोज़े रखने से खुद के द्वारा की गयी गलतियों की माफी अल्लाह से मांगने का मौका भी अवश्य ही मिल जाता है।
रमजान माह 2023 में कब शुरू होगा?
रमजान का पाक महीना मक्का, सऊदी अरब में खगोलीय गणना द्वारा पूर्व निर्धारित तिथि पर चंद्रमा के दिखने पर शुरू किया जाता है। इस वजह से, रमजान महीने की प्रारंभ और समाप्ति दिनांक निर्धारित नहीं हैं क्योंकि यह चाँद दिखने के हिसाब से यह एक दिन आगे या पीछे हो सकती हैं।
इस साल भारत में रमजान बुधवार, 22 मार्च, 2023 को मक्का में चांद दिखने के बाद शुरू होने की उम्मीद है, लेकिन अगर 22 मार्च बुधवार को चांद नहीं दिखा तो रमजान का पाक महीना 23 मार्च गुरुवार से शुरू होंगा। साथ ही रमजान का महीना शुक्रवार, अप्रैल 21, 2023 को खत्म होगा और ईद-उल-फितर शनिवार, अप्रैल 22, 2023 को मनाई जाने की संभावना है|
दुनिया में सेंटर ऑफ इस्लाम कहे जाने वाले सऊदी अरब में मंगलवार (21 मार्च) को चांद का दीदार नहीं हो पाया इसलिए इस्लाम का पाक रमजान महीना 23 मार्च से शुरु होगा। अगर सऊदी अरब में चांद दिख जाता तो बुधवार (22 मार्च) को पहला रोजा रखा जाता लेकिन अब 23 मार्च यानि गुरुवार को रमजान के पाक महीने की शुरुआत होगी और ऐसी दिन पहला रोज़ा रखा जाएगा।
रमजान का पाक महीना मक्का, सऊदी अरब में खगोलीय गणना द्वारा पूर्व निर्धारित तिथि पर चंद्रमा के दिखने पर शुरू किया जाता है। इस वजह से, रमजान महीने की प्रारंभ और समाप्ति दिनांक निर्धारित नहीं हैं क्योंकि यह चाँद दिखने के हिसाब से यह एक दिन आगे या पीछे हो सकती हैं।
इस साल भारत में रमजान बुधवार, 22 मार्च, 2023 को मक्का में चांद दिखने के बाद शुरू होने की उम्मीद है, लेकिन अगर 22 मार्च बुधवार को चांद नहीं दिखा तो रमजान का पाक महीना 23 मार्च गुरुवार से शुरू होंगा। साथ ही रमजान का महीना शुक्रवार, अप्रैल 21, 2023 को खत्म होगा और ईद-उल-फितर शनिवार, अप्रैल 22, 2023 को मनाई जाने की संभावना है|
दुनिया में सेंटर ऑफ इस्लाम कहे जाने वाले सऊदी अरब में मंगलवार (21 मार्च) को चांद का दीदार नहीं हो पाया इसलिए इस्लाम का पाक रमजान महीना 23 मार्च से शुरु होगा। अगर सऊदी अरब में चांद दिख जाता तो बुधवार (22 मार्च) को पहला रोजा रखा जाता लेकिन अब 23 मार्च यानि गुरुवार को रमजान के पाक महीने की शुरुआत होगी और ऐसी दिन पहला रोज़ा रखा जाएगा।
रमजान की शुरुआत कैसे और कब हुई?
बताया जाता है कि इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी (624 CE)में शुरू हुई थी। कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में साफ तौर पर कहा गया है कि रोजा तुम पर उसी तरह से फर्ज किया जाता है जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था। मुहम्मद साहब के मक्का से हिजरत कर मदीना पहुंचने के एक साल के बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया। इस तरह से दूसरी हिजरी में रोजा रखने की परंपरा इस्लाम में शुरू हुई। कहा जाता है कि मुहम्मद शाहब को लैलात अल-क़द्र (शक्ति की रात) पर पहला क़ुरान रहस्योद्घाटन मिला, जो रमज़ान के आखिरी दस दिनों के दौरान आने वाली पाँच विषम-संख्या वाली रातों में से एक है।
बताया जाता है कि इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी (624 CE)में शुरू हुई थी। कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में साफ तौर पर कहा गया है कि रोजा तुम पर उसी तरह से फर्ज किया जाता है जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था। मुहम्मद साहब के मक्का से हिजरत कर मदीना पहुंचने के एक साल के बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया। इस तरह से दूसरी हिजरी में रोजा रखने की परंपरा इस्लाम में शुरू हुई। कहा जाता है कि मुहम्मद शाहब को लैलात अल-क़द्र (शक्ति की रात) पर पहला क़ुरान रहस्योद्घाटन मिला, जो रमज़ान के आखिरी दस दिनों के दौरान आने वाली पाँच विषम-संख्या वाली रातों में से एक है।
रमजान क्यों मनाया जाता है?
इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना खुद पर नियंत्रण एवं संयम रखने का महीना होता है। कुरान की आयत नंबर 183 के अनुसार हर मुस्लिम को रमजान के महीने में रोजा रखना जरूरी बताया गया है जोकि बहुत कठिन नियम पालन के साथ रखा जाता है। इस्लाम में रमजान महीने में अल्लाह के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही इस महीने में रोजे रखे जाते हैं अर्थात रमजान के महीने में रोजा रखकर भूख-प्यास और स्वयं पर नियंत्रण रखते हुए नमाज अदा कर अपने रब को खुश करने और अल्लाह की इबादत करने के लिए रमजान मनाया जाता है।
इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना खुद पर नियंत्रण एवं संयम रखने का महीना होता है। कुरान की आयत नंबर 183 के अनुसार हर मुस्लिम को रमजान के महीने में रोजा रखना जरूरी बताया गया है जोकि बहुत कठिन नियम पालन के साथ रखा जाता है। इस्लाम में रमजान महीने में अल्लाह के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही इस महीने में रोजे रखे जाते हैं अर्थात रमजान के महीने में रोजा रखकर भूख-प्यास और स्वयं पर नियंत्रण रखते हुए नमाज अदा कर अपने रब को खुश करने और अल्लाह की इबादत करने के लिए रमजान मनाया जाता है।
रमजान की विशेषता क्या है?
इस्लाम के अनुसार रमजान के माह में हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है अर्थात इस महीने में 1 रकात नमाज अदा करने का सवाब कम से कम 70 गुना बढ़ जाता है। साथ ही इस्लाम के अनुसार रमजान के समय में रोजा रखने वाले व्यक्ति के लिए इस माह में दोजक यानी कि नर्क के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं साथी कुरान में कहा गया है कि इसी महीने में कुरान शरीफ दुनिया में नाजिल अवतरित हुआ था जिस वजह से रमजान महीने को विशेष माना जाता हैं।
इस्लाम के अनुसार रमजान के माह में हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है अर्थात इस महीने में 1 रकात नमाज अदा करने का सवाब कम से कम 70 गुना बढ़ जाता है। साथ ही इस्लाम के अनुसार रमजान के समय में रोजा रखने वाले व्यक्ति के लिए इस माह में दोजक यानी कि नर्क के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं साथी कुरान में कहा गया है कि इसी महीने में कुरान शरीफ दुनिया में नाजिल अवतरित हुआ था जिस वजह से रमजान महीने को विशेष माना जाता हैं।
मुस्लिम रमजान के महीने में कितनी बार नमाज अदा करते हैं?
मुस्लिम रमजान के महीने में अपने रब यानी कि अल्लाह को खुश करने के लिए रोजा रखकर नमाज पढ़ते हैं। इस प्रकार रमजान के महीने में लोग रोजा रखते हुए दिन में पांच बार नमाज अदा कर अल्लाह के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। नमाज 1 दिन में 5 बार अदा की जाती हैं -
1. पहली नवाज फज्र को अदा की जाती है अर्थात् सुबह या तड़के में।
2. दूसरी नमाज जुहर को अदा की जाती हैं जुहर यानी दोपहर में।
3. तीसरी नमाज अस्प्र को अदा की जाती है जोकि सांझ होने से पहले पढ़ी जाती है।
4. चौथी नमाज मगरिब की नमाज अदा होती है जो सूरज छिपने के बाद ही पढ़ी जाती हैं।
5. पांचवी नमाज ईशा की होती हैं जो कि सबसे अंतिम नमाज होती है और इसे रात में अदा किया जाता हैं।
मुस्लिम रमजान के महीने में अपने रब यानी कि अल्लाह को खुश करने के लिए रोजा रखकर नमाज पढ़ते हैं। इस प्रकार रमजान के महीने में लोग रोजा रखते हुए दिन में पांच बार नमाज अदा कर अल्लाह के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। नमाज 1 दिन में 5 बार अदा की जाती हैं -
1. पहली नवाज फज्र को अदा की जाती है अर्थात् सुबह या तड़के में।
2. दूसरी नमाज जुहर को अदा की जाती हैं जुहर यानी दोपहर में।
3. तीसरी नमाज अस्प्र को अदा की जाती है जोकि सांझ होने से पहले पढ़ी जाती है।
4. चौथी नमाज मगरिब की नमाज अदा होती है जो सूरज छिपने के बाद ही पढ़ी जाती हैं।
5. पांचवी नमाज ईशा की होती हैं जो कि सबसे अंतिम नमाज होती है और इसे रात में अदा किया जाता हैं।
रमजान के दौरान मुस्लिम कब खाना खाते हैं ?
मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान का महीना होता है। यह मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र समय होता है और इस महीने में मुस्लिम रोजा रखते हैं तथा इस दौरान सुबह भोर होने से पहले ही खाना खा लेते है क्योंकि रमजान के दौरान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त होने तक दिनभर कुछ भी नहीं खाना और पीना होता हैं। इफ्तार की शुरुआत कम पानी और खजूर से करनी चाहिए। इफ्तार के समय बहुत ठंडा पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए। रोजा खोलते ही ज्यादा पानी न पिये। इफ्तार के कुछ देर बाद, पानी एवं जूस आदि लेना चाहिए।
मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान का महीना होता है। यह मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र समय होता है और इस महीने में मुस्लिम रोजा रखते हैं तथा इस दौरान सुबह भोर होने से पहले ही खाना खा लेते है क्योंकि रमजान के दौरान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त होने तक दिनभर कुछ भी नहीं खाना और पीना होता हैं। इफ्तार की शुरुआत कम पानी और खजूर से करनी चाहिए। इफ्तार के समय बहुत ठंडा पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए। रोजा खोलते ही ज्यादा पानी न पिये। इफ्तार के कुछ देर बाद, पानी एवं जूस आदि लेना चाहिए।
रमजान में रोजा क्यों रखा जाता है?
रमजान का महीना मुसलमानो के लिए बहुत ही पवित्र महीना होता है। इस महीने में हर मुस्लिम रोजा रखता है तथा रोजे के दौरान लोग अल्लाह से हर गलती की माफी मांगते हैं तथा बुराई से दूर रहते हैं। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना खुद पर संयम और नियंत्रण रखने का होता है। रोजा रखकर मुस्लिम अपने रब से हर गुनाह की माफी की माँगते हैं और इस दौरान मुस्लिम लोग नहीं बुरा देखते ना सुनते ना ही बुरा बोलते हैं एवं पूरी धार्मिक श्रद्धा के साथ बुरी आदतों को छोड़ने का संकल्प लेते हैं तथा आत्म संयम बनाए रखते हैं।
रमजान का महीना मुसलमानो के लिए बहुत ही पवित्र महीना होता है। इस महीने में हर मुस्लिम रोजा रखता है तथा रोजे के दौरान लोग अल्लाह से हर गलती की माफी मांगते हैं तथा बुराई से दूर रहते हैं। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना खुद पर संयम और नियंत्रण रखने का होता है। रोजा रखकर मुस्लिम अपने रब से हर गुनाह की माफी की माँगते हैं और इस दौरान मुस्लिम लोग नहीं बुरा देखते ना सुनते ना ही बुरा बोलते हैं एवं पूरी धार्मिक श्रद्धा के साथ बुरी आदतों को छोड़ने का संकल्प लेते हैं तथा आत्म संयम बनाए रखते हैं।
रोजा रखने के फायदे:
हमने ऊपर समझा की मुसलमानो के लिए रमजान के महीने का क्या महत्व है और रोजा क्यों रखा जाता है? उसी तरह से आइए अब हम आपको बताते हैं कि रमजान के महीने में रोजे रखने के क्या फायदे होते हैं -
1. रोजा रखने के दौरान एक मुस्लिम अपने अल्लाह को खुश करने और अपनी गलतियों की माफ़ी मांगने के लिए 1 दिन में कम से कम 5 बार नमाज पढ़कर अल्लाह से रिवायत की फरमाइश करता है।
2. रोजा रखने से अपनी ज्ञानेंद्रियों को पूरी तरह से नियंत्रण में रख सकते हैं अर्थात हम अपनी भूख और प्यास पर नियंत्रण करने में सफल होते हैं।
3. रोजा रखने से कई सारे शारीरिक फायदे भी मिलते हैं। कई शोधों के अनुसार यह साबित किया गया कि रोजा रखने से अवसाद और कई तरह की पेट की बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
4. रोजा रखने से ह्रदय स्वस्थ रहता है और इंसान विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचा रहता है। रोजा बैड कैलेस्ट्रोल को कम करने का काम करता है और को ह्रदय को स्वस्थ बनाता है।
5. कुछ शोधो में पाया गया है की रोजा रखने से दिमाग मजबूत बना रहता है और दिमाग की कार्य क्षमता भी बढ़ जाती है।
6. विभिन्न रिसर्च में पाया गया है की रोजा रखने से बॉडी में जो एचजीएच हॉर्मोन रिलीज होता है, वो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। एचजीएच हॉर्मोन वजन कम करने के साथ ही माँसपेशियों को भी बहुत मजबूत करने का कार्य करता है।
हमने ऊपर समझा की मुसलमानो के लिए रमजान के महीने का क्या महत्व है और रोजा क्यों रखा जाता है? उसी तरह से आइए अब हम आपको बताते हैं कि रमजान के महीने में रोजे रखने के क्या फायदे होते हैं -
1. रोजा रखने के दौरान एक मुस्लिम अपने अल्लाह को खुश करने और अपनी गलतियों की माफ़ी मांगने के लिए 1 दिन में कम से कम 5 बार नमाज पढ़कर अल्लाह से रिवायत की फरमाइश करता है।
2. रोजा रखने से अपनी ज्ञानेंद्रियों को पूरी तरह से नियंत्रण में रख सकते हैं अर्थात हम अपनी भूख और प्यास पर नियंत्रण करने में सफल होते हैं।
3. रोजा रखने से कई सारे शारीरिक फायदे भी मिलते हैं। कई शोधों के अनुसार यह साबित किया गया कि रोजा रखने से अवसाद और कई तरह की पेट की बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
4. रोजा रखने से ह्रदय स्वस्थ रहता है और इंसान विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचा रहता है। रोजा बैड कैलेस्ट्रोल को कम करने का काम करता है और को ह्रदय को स्वस्थ बनाता है।
5. कुछ शोधो में पाया गया है की रोजा रखने से दिमाग मजबूत बना रहता है और दिमाग की कार्य क्षमता भी बढ़ जाती है।
6. विभिन्न रिसर्च में पाया गया है की रोजा रखने से बॉडी में जो एचजीएच हॉर्मोन रिलीज होता है, वो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। एचजीएच हॉर्मोन वजन कम करने के साथ ही माँसपेशियों को भी बहुत मजबूत करने का कार्य करता है।
रमजान के महीने के अंत में क्या होता है ?
जैसा कि हम जानते हैं कि मुसलमानो के लिए रमजान का महीना बहुत ही पवित्र और धार्मिक महीना है। इस दौरान लोग अपने परिवारजनों के साथ में रोजा रखते हैं। इसी महीने के अंत में या रमजान के तीसरे और अंतिम अशरे में मुस्लिम वर्ग में उत्साह देखा जाता है क्योंकि इस समय हर मुसलमान अल्लाह का शुक्रगुजार होता हैं। रमजान के अंत में "ईद उल फितर" का त्योहार मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान सभी रिश्तेदार, मित्रगण, और भाई-बहन एक दूसरे से मिलकर गले मिलकर मुबारक देते हैं। रमजान के अंतिम दिन दावत के दौरान रोजा खोलने का जश्न मनाया जाता है तथा अपने करीबी लोगों को उपहार दिए जाते है साथ ही आपस में अपार खुशियां बांटी जाती हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि मुसलमानो के लिए रमजान का महीना बहुत ही पवित्र और धार्मिक महीना है। इस दौरान लोग अपने परिवारजनों के साथ में रोजा रखते हैं। इसी महीने के अंत में या रमजान के तीसरे और अंतिम अशरे में मुस्लिम वर्ग में उत्साह देखा जाता है क्योंकि इस समय हर मुसलमान अल्लाह का शुक्रगुजार होता हैं। रमजान के अंत में "ईद उल फितर" का त्योहार मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान सभी रिश्तेदार, मित्रगण, और भाई-बहन एक दूसरे से मिलकर गले मिलकर मुबारक देते हैं। रमजान के अंतिम दिन दावत के दौरान रोजा खोलने का जश्न मनाया जाता है तथा अपने करीबी लोगों को उपहार दिए जाते है साथ ही आपस में अपार खुशियां बांटी जाती हैं।
Ramadan 2023 When is Ramadan 2023 How Ramadan is Celebrated Benefits of Roza Roza What is Ramadan Ashra Significance of Ramadan Month How Ramadan started When Ramadan Started Why Ramadan celebrated
Comments