Rajasthan's Havelis: Where Extraordinary Architecture Meets Rich Heritage

6 प्रसिद्ध राजस्थान की हवेलियाँ: जहाँ उत्तम वास्तुकला समृद्ध विरासत से मिलती है - 

 

जब भी कोई देशी या विदेशी मेहमान राजस्थान घूमने आता है तो यहां बने हुए किले, दुर्ग, महल, हवेलियां, झरोखो आदि की कलाकृतियों को देख कर हर कोई मंत्रमुग्ध या आश्चर्यचकित हो ही जाता हैं। आज हम इस ब्लॉग में राजस्थान में बनी हुई कुछ मुख्य और प्रसिद्ध हवेलियों के बारे में बात करेंगे। ये हवेलियां आज भी राजस्थान के कुछ प्रसिद्ध जगहों पर जैसे : बीकानेर, जैसलमेर, टोंक, जोधपुर, उदयपुर, चित्तौड़, भीलवाड़ा, सीकर, कोटा, झुंझुनू, चिड़ावा, नवलगढ़, चूरू, अलवर,फतेहपुर, लाडनूं,आदि पर देखने को मिल जाती हैं।

तो आइए राजस्थानी की प्रसिद्ध हवेलियों की बात शुरू करते है, उम्मीद है की आपको ये ब्लॉग पसंद आएगा –

 

1. पटवों को हवेली :

Patwon Ki Haveli

राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित "पटवों की हवेली"  राजस्थान की कुछ प्राचीन हवेलियों में से एक है। जैसलमेर कि यह हवेली राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन और ऐतिहासिक स्थल भी माना जाता है। 

इसका कलर हल्का पीला करामाती शेड में रंगीन है पटवों की हवेली इस शहर की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए एक आकर्षण केंद्र हैं। पटवों की हवेली बहार से देखने पर एक हवेली ही लगती है लेकिन इस हवेली अन्दर पाँच हवेलियाँ हैं। पटवों की हवेली का निर्माण 1805 ई. में  गुमान चंद जी पटवा ने अपने पाँच पुत्रों के लिए करवाया था। पटवों की हवेली का निर्माण करने में करीब 50 वर्ष का समय लगा था।   

पटवों की हवेली राजस्थान की प्रमुख और प्रसिद्ध हवेलियों में से एक है। पटवों की हवेली पर बहुत ही खूबसूरत नक्काशी की गई है। रखरखाव के अभाव में ये हवेली अब अपनी पुरानी ख्यति और सुंदरता खो रही है।  इस हवेली के अंदर कुछ दीवारों पर अभी भी  कुछ चित्रकारी और कांच की नक्काशी देखी जा सकती है। 

 

पटवों की हवेली की मुख्य विशेषताएं:

  • पटवों की हवेली को "हवेली ऑफ ब्रोकेड मरचेंट्स" या ब्रोकेड मर्चेंट की हवेली के नाम से बुलाया जाता है।
  • इस हवेली के निर्माणकर्ता  व्यापारी गुमानचंद जो उस समय शहर के एक बहुत बड़े सोने  के धागे (तार) के व्यापारी थे, इसी कारण इस हवेली को ब्रोकेड मर्चेंट की हवेली के रूप में भी जाना जाता है।
  • पटवों की हवेली जैसलमेर शहर की सबसे बड़ी हवेली हैं।
  • चूँकि ये हवेली एक बहुत ही पतली और संकरी गली के अंदर स्थित है इसलिए इस हवेली को देखने पर्यटक पैदल या रिक्शे में यहां इसको देखने आते है। पटवों की हवेली में कुल 66 झरोखे है। 
  • पटवों की हवेली अपने बरामदे में बनी पत्थर और लकड़ी की सुंदर जाली की कारीगरी के लिए व्यापक रूप से बहुत प्रसिद्ध है।
  • इस हवेली में एक बहुत ही शानदार अपार्टमेंट है, जिसकी दीवारों को बहुत ही सुंदर भित्ति चित्रों के साथ चित्रित किया गया है। पटवों की हवेली अलंकृत दीवार चित्रों, पीले बलुआ पत्थर, नक्काशीदार झरोखों (बालकनिया), प्रवेश द्वारों और दरवाजों के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
  • यद्यपि यह हवेली स्वयं पीले बलुआ पत्थर से बानी है किन्तु इसका मुख्य प्रवेश द्वार भूरे रंग का बनवाया गया है।
  • हवेली के अंदर स्थित खंभो और छत को स्वर्ण वास्तुकला से जटिल डिजाइन और सुंदर से लघु कार्य से उकेरा गया है।

 

पटवों की हवेली दर्शन शुल्क:

  • पर्यटक - ₹ 20
  • कैमरा शुल्क - ₹ 20 अतिरिक्त

 

पटवों की हवेली कैसे पहुंचे?

सड़क मार्ग से: जैसलमेर, राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों से सड़को मार्ग से जुड़ा हुआ है, जैसे: जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, आदि। यात्री सड़क मार्ग द्वारा बस या कार से यात्रा कर आसानी से जैसलमेर पहुंच सकता है।

रेल मार्ग से: पटवों की हवेली पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन जैसलमेर रेलवे स्टेशन है। यहाँ से पटवों की हवेली मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यात्री पैदल या ऑटो की सहायता से पटवों की हवेली आसानी से पहुंच सकता हैं।

हवाई मार्ग से: पटवों की हवेली पहुंचने के लिए जोधपुर हवाई अड्डा सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जोधपुर हवाई अड्डे से यात्री बस, ट्रैन या टैक्सी द्वारा पटवों की हवेली पहुंच सकते है। जोधपुर हवाई अड्डे से पटवों की हवेली की दुरी लगभग 270 किमी है। 

 

2. सलीम सिंह की हवेली:

Salim Singh Ki Haveli

सलीम सिंह की हवेली जैसलमेर की प्रसिद्ध हवेलियों में से एक है। 

ये हवेली लगभग 300 वर्ष पुराणी हवेली हैं। सलीम सिंह की हवेली का निर्माण वर्ष 1815 में जैसलमेर के तत्कालीन मुख्यमंत्री सलीम सिंह द्वारा करवाया गया था। सलीम सिंह की हवेली जैसलमेर किले की पहाड़ियों के पास  स्थित है और इसकी मेहराबदार छत में मोर के आकार के अलंकरण तैयार करवाए गये।

सलीम सिंह की हवेली जैसलमेर के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। हर वर्ष यहाँ हज़ारो की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते है और इस हवेली की सुंदरता और बनावट देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते है।

 

सलीम सिंह की हवेली की मुख्य विशेषताएँ:

  • सलीम सिंह की हवेली में एक बहुत ही सुंदर और विस्तृत नक्काशी है जो आकर्षण का केंद्र बिंदु हैं।
  • सलीम सिंह की हवेली को ' जहाजमहल' के नाम से भी जाना जाता हैं।
  • सलीम सिंह की हवेली के भीतर कमरों के अलावा भित्तिचित्र, स्तंभों सुंदर प्रांगण के साथ ही इस हवेली में 38 झरोखे भी है जिससे यह हवेली बहुत ही सुंदर दिखाई पड़ती हैं।
  • किंवदंती है कि वहाँ दो लकड़ी की मंजिलंे और थीं जो इसे महाराजा के महल के समान ऊँचाई प्रदान करती थीं। लेकिन उन्होंने इसको ध्वस्त करने का आदेश दे दिया था।
  • कहा जाता है की सलीम सिंह की हवेली के ऊपर दो मंजिले और भी थी जिनका निर्माण लकड़ी से करवाया गया था, और जो इस हवेली को महाराजा के महल के बराबर ऊंचाई प्रदान करती थी। अतः उन दो मंज़िलो को धवस्त करवा दिया गया था।
  • इस हवेली में जालीदार भित्ति चित्रों को और आधी-अधूरी रंगीन कलाकृतिया को देखा जा सकता हैं।
  • सलीम सिंह की हवेली की अद्भुत नीली कपोला की छत बहुत ही आनंददायी हैं, और इस हवेली की शहर भर में एक अलग ही चमक हैं।
  • सलीम सिंह की हवेली में गलियारों और कमरों की भरमार देखी जा सकती है।
  • सलीम सिंह की हवेली की वास्तुकला अपने समय से बहुत आगे की कला मानी जाती है ।

 

सलीम सिंह की हवेली के खुलने का समय और निर्धारित शुल्क:

  • समय: सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक।
  • भारतीय पर्यटक - ₹ 50
  • विदेशी पर्यटक - ₹100
  • कैमरा शुल्क - ₹ 50

 

सलीम सिंह की हवेली कैसे पहुंचा जा सकता है?

सड़क मार्ग से: सलीम सिंह की हवेली पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको जैसलमेर पहुंचना पड़ेगा। जैसलमेर सड़क मार्ग द्वारा राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर बस स्टैंड से सलीम सिंह की हवेली सिर्फ 1200 मीटर की दुरी पर स्थित है।

रेल मार्ग से: सलीम सिंह की हवेली पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन जैसलमेर रेलवे स्टेशन है। यहाँ से सलीम सिंह की हवेली मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यात्री पैदल या ऑटो की सहायता से सलीम सिंह की हवेली आसानी से पहुंच सकता हैं।

हवाई मार्ग से: सलीम सिंह की हवेली पहुंचने के लिए जोधपुर हवाई अड्डा सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जोधपुर हवाई अड्डे से यात्री बस, ट्रैन या टैक्सी द्वारा सलीम सिंह की हवेली पहुंच सकते है। जोधपुर हवाई अड्डे से सलीम सिंह की हवेली की दुरी लगभग 270 किमी है। 

 

3. नथमल जी की हवेली:

Nathmal Ji Ki Haveli

राजस्थान राज्य के जैसलमेर शहर को हवेलियों का शहर भी कह सकते हैं क्योंकि यहां पर प्राचीन हवेलियों की भरमार है। जैसलमेर शहर में 19वीं शताब्दी में निर्मित नथमल जी की हवेली यहां के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है। इस हवेली में जैसलमेर के प्रधानमंत्री दीवान मोहता नथमल जी का निवास स्थान था, इसलिए उन्हीं के नाम से आज इसे नथमल जी की हवेली के रूप में जाना जाता है। नथमल जी की हवेली का निर्माण  महारावल बेरीसाल तथा दो वास्तुकार भाइयों - हाथी और लुल्लू किया गया है। यह हवेली पीले बलुआ पत्थर से निर्मित बहुत ही सुंदर हवेली है।

 

नथमल जी की हवेली की मुख्य विशेषताएं:

  • नथमल जी की पूरी हवेली पीले बलुआ पत्थर से निर्मित है तथा इसके अंदर एक पीले बलुआ पत्थर से निर्मित हाथी भी है, जिसे प्रभावशाली नक्काशीदार प्रवेश द्वार पर रखा गया है।
  • नथमल की हवेली जैसलमेर में एक अनियमित आकार में बनी हुई एक अद्वितीय हवेली है।
  • इस हवेली में मुख्य द्वार पर दो पत्थर के हाथी है जिन्हे देखकर मानो ऐसा लगता है की वे इस हवेली की रखवाली करते हो और आने वाले मेहमानों का स्वागत कर रहे हो।
  • इस हवेली में सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां आधुनिक सुविधाओ जैसे कार, पंखे आदि की ड्राइंग भी बनी हुई है जो कि यहां आने वाले पर्यटकों को बहुत ही आकर्षित करती हैं। इनके अलावा इस हवेली में खंभों और दीवारों पर घोड़ो और  मवेशियों और अन्य चीजों के चित्रों को भी उकेरा गया है।
  • नथमल जी की हवेली में राजपूत और वास्तुकला की इस्लामी शैलियों का संगम भी देखा जा सकता है।

 

नथमल जी की हवेली घूमने जाने का शुल्क और समय:

  • शुल्क: नथमल जी की हवेली घूमने जाने और देखने का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
  • खुलने का समय: प्रातः 8:00 - सांय 7:00 तक।
  • नथमल जी की हवेली घूमने जाने का समय गर्मियों का मौसम उत्तम रहता है।

 

नथमल जी की हवेली कैसे पहुंचा जा सकता है?

सड़क मार्ग से: नथमल जी की हवेली पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको जैसलमेर पहुंचना पड़ेगा। जैसलमेर सड़क मार्ग द्वारा राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर बस स्टैंड से नथमल जी की हवेली सिर्फ 1000 मीटर की दुरी पर स्थित है।

रेल मार्ग से: नथमल जी की हवेली पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन जैसलमेर रेलवे स्टेशन है। यहाँ से नथमल जी की हवेली मात्र 2-3 किमी की दूरी पर स्थित है। यात्री पैदल या ऑटो की सहायता से नथमल जी की हवेली आसानी से पहुंच सकता हैं।

हवाई मार्ग से: नथमल जी की हवेली पहुंचने के लिए जोधपुर हवाई अड्डा सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। जोधपुर हवाई अड्डे से यात्री बस, ट्रैन या टैक्सी द्वारा नथमल जी की हवेली पहुंच सकते है। जोधपुर हवाई अड्डे से नथमल जी की हवेली की दुरी लगभग 270 किमी है। 

 

4. होटल मंडावा हवेली, जयपुर:

Mandawa Haveli

मंडावा हवेली मूलतः वर्ष 1896 में मंडावा के 15वें शासक ठाकुर भगत सिंह जी के टाउन हाउस के रूप में बनवाई गई थी। इस हवेली का निर्माण नाहरगढ़ किले के दृश्यों की पेशकश करने जैसी छत, बड़े हवादार छायांकित बरामदे, सुंदर-सुंदर प्राकृतिक उद्यान, तथा एक स्विमिंग पूल और 70 कमरों के साथ कई बड़े आंगन-प्रांगण आदि से निर्मित बहुत ही बड़ी सुंदर है। होटल मंडावा हवेली जयपुर की सबसे शानदार हवेलियों में से एक है। आज इस सुंदर सी हवेली को एक होटल के रूप में बदल दिया गया है।

आज होटल मंडावा हवेली जयपुर की सबसे अच्छी होटलों में से एक हैं। होटल मंडावा हवेली जयपुर के बहुतायत सुविधाओं से युक्त जैसे - एयर कंडीशनर रूम, स्वागत सुविधाएं, वाईफाई इंटरनेट सर्विस, डॉक्टर ऑन कॉल, मिनी बार, चाय/ कॉफी मेकर, बोतलबंद पीने का पानी, टेलीविजन,अलमारी आदि सुविधाओ से युक्त डबल मंजिला होटल हैं । जो कि जयपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 3 किलोमीटर तथा जयपुर बस स्टैंड सिंधी कैंप से मात्र 2  किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

 

होटल मंडावा हवेली कैसे पहुंचे?

सड़क मार्ग से: जयपुर भारत के सभी बड़े शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जयपुर सिंधी कैंप बस स्टैंड से मंडवा हवेली होटल मात्रा 2 किमी की दुरी पर स्थित है। 

रेल मार्ग से: मंडावा हवेली होटल पहुंचने के लिए जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर उतर कर यहां से ऑटो टैक्सी, साइकिल रिक्शा की सुविधा से हम होटल मंडावा हवेली आसानी से पहुंच सकते हैं जो कि रेलवे स्टेशन से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

हवाई मार्ग से: होटल मंडावा हवेली पहुंचने के लिए जयपुर अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है यहां से होटल मंडावा हवेली की दुरी मात्र 13 -14 किमी है। जयपुर हवाई अड्डे से होटल मंडावा हवेली जाने की लिए आप कार, बस, टैक्सी ले सकते है।

 

5. सामोद हवेली:

Samode Haveli

राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर शहर में स्थित सामोद हवेली, सामोद पैलेस तथा सामोद बाग, ये जयपुर रियासत के महारावल या महा साहेब के वंशानुगत शीर्षक के साथ महान सामंती द्वारा निर्माण की गई विरासत के स्मारक और संरचनाएं हैं। इन दिनों में लगभग 175 वर्षों का समृद्ध इतिहास और मुगल तथा राजस्थानी वास्तुकला का मिश्रण भी है। यह सब आज समोद के प्रमुख नाम के तहत होटलों में बदल गए हैं जो इंसान रचनाओं के वंशानुगत मालिकों द्वारा चलाए जा रहे हैं।

सामोद हवेली लगभग 200 साल पहले रावल शेर सिंह के द्वारा बनवाई गई थी। शुरुआत में इसे शाही परिवार के लिए एक रिसॉर्ट के रूप में बनाया गया था। यह हवेली उत्तर की ओर मुख करके बनाई गई है जिसके अंतर्गत एक सुंदर सा डायनिंग हॉल अथवा चित्रित भोजन कक्ष और एक हवाई मार्ग भी बनवाया गया है। माना जाता हैं कि इस शाही परिवार के किसी एक सदस्य के विवाह समारोह के दौरान इस हवेली में सन 1940 हवेली के मुख्य प्रवेश द्वार पर विशेष रूप से बना हुआ एक हाथी की नींव रखी गई थी। तब से लेकर आज तक ये हवेली आज जयपुर की सबसे अच्छी होटलों में से एक मानी जाती हैं।

 

सामोद हवेली की मुख्य विशेषताएं:

  • सामोद हवेली की नींव लगभग 225 साल पहले सामोद के शासक ने रखी थी।
  • सामोद की हवेली एक पारंपरिक भारतीय हवेली भी है।
  • सामोद की हवेली में एक हरा-भरा सा बाग स्थित है।
  • इस हवेली के मुख्य द्वार पर स्वागत कक्ष बनी हुई हस्त पेंटिंग या हस्तकला का चित्रण बहुत ही आश्चर्य चकित प्रतीत होता है।
  • सामोद की हवेली के बाद अंतरंग आंगन की एक श्रंखला भी है। 

 

सामोद हवेली होटल कैसे पहुंचा जा सकता है?

सामोद हवेली होटल जयपुर शहर में स्थित होने के कारण हम यहां पर किसी भी मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं :

हवाई मार्ग से: सामोद हवेली जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 16 किमी की दुरी पर स्थित है।

रेल मार्ग से: सामोद हवेली जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर हैं।

सड़क मार्ग से: सामोद हवेली होटल सिंधी कैंप बस स्टैंड से मात्र 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

 

6. बागोर की हवेली:

Bagore Ki Haveli

लगभग 250 साल पुरानी बागोर की हवेली राजस्थान राज्य के उदयपुर शहर में स्थित हैं और उदयपुर शहर राजस्थान राज्य का सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है। बागोर की हवेली का निर्माण 1751से 1781 के बीच हुआ। इस हवेली का निर्माण पिछोला झील के किनारे, मेवाड़ शासक के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद्र बड़वा की देखरेख में हुआ था। बागोर की  हवेली में लगभग 138 कमरे हैं तथा बड़े-बड़े बरामदे और झरोखे भी हैं।

इस ऐतिहासिक हवेली में यहां की दीवारों पर वास्तु कला एवं भित्तिचित्रों को ऐसी तरह से दर्शाया गया है कि यहां पर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक बहुत ही आकर्षित होते हैं। बागोर की हवेली हम शाम को 7:00 बजे मेवाड़ी कथा का राजस्थानी में शानदार आयोजन किया जाता है जिसे लोग देखकर बहुत आनंदित होते हैं।

 

बागोर की हवेली की मुख्य विशेषताएं:

  • बागोर की हवेली की प्रमुख विशेषता यह है कि इस ऐतिहासिक हवेली को पश्चिम का मुख्यालय बनाया गया था।
  • बागोर की हवेली के मुख्य द्वारों पर कांच एवम प्राकृतिक रंगों चित्रित चित्रों का संकलन बहुत ही सुन्दर लगता है।
  • बागोर की हवेली में स्नान घरों की कुछ ऐसी व्यवस्थाएं थी जहां मिट्टी, पीतल, तांबा और कांस्य कुंडियों में चंदन, दूध और मिश्री का पानी भरा होता था और राज परिवार के लोग सीढ़ी पर बैठकर उनसे स्नान किया करते हैं।
  • इस ऐतिहासिक हवेली में वास्तुकला और भित्तिचित्रों को इतना सुंदर संजोया गया है कि यहां आने वाले पर्यटक इसे देखकर बेहद अचंभित होते हैं।
  • बागोर की हवेली में हर शाम सांस्कृतिक प्रोग्राम के दौरान मेवाड़ी नृत्य और राजस्थानी नृत्य का आयोजन किया जाता है जो कि बहुत ही मनमोहक प्रस्तुति होती हैं।
  • बागोर की हवेली में स्वर्ण तथा बेशकीमती अलंकारों को रखने के लिए एक बहुत बड़ा सा तहखाना बना हुआ है जिसे लोग देखकर आज भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

 

बागोर की हवेली घूमने का शुल्क:

  • भारतीय पर्यटक वयस्क- ₹ 60
  • भारतीय पर्यटक बच्चे - ₹ 30
  • विदेशी पर्यटक वयस्क - ₹ 100
  • विदेशी पर्यटक बच्चे - ₹ 50
  • कैमरा शुल्क - ₹ 50

 

बागोर की हवेली में हर शाम होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने का शुल्क:

  • भारतीय पर्यटक वयस्क - ₹ 90
  • भारतीय पर्यटक बच्चे - ₹ 40
  • विदेशी पर्यटक वयस्क - ₹ 150
  • विदेशी पर्यटक बच्चे - ₹ 75
  • कैमरा शुल्क - ₹ 150

 

बागोर की हवेली कैसे पहुंचे>

हवाई मार्ग से : उदयपुर से बागोर की हवेली अगर हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो आपको बता दें कि यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है जो बागोर की हवेली 26 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित हैं। यहां पर उतरने के बाद टैक्सी या कैब की सहायता से बागोर की हवेली तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग से : उदयपुर रेलवे स्टेशन से बागोर की हवेली लगभग 3-3.5 किमी की दूरी पर स्थित है। उदयपुर रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद टैक्सी ऑटो रिक्शा की सहायता से बागोर की हवेली तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग से: उदयपुर बस स्टॉप पर आने के बाद यहां से बस, ऑटो, कार की सुविधा से बागोर की हवेली तक जाना आसान रहता है।


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