Introduction of EVM Machine and EVM Machine Vs Ballot Paper
ईवीएम मशीन का परिचय
परिचय: ईवीएम मशीन यानि कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन अथवा मतदाता वोटिंग यंत्र। यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो मतदान प्रणाली के अंतर्गत मतों को जल्द ही दर्ज करने की सुविधा प्रदान करता है। यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग उपकरण दो इकाईयों से बना हैं। जैसे - नियंत्रण इकाई तथा दूसरी मतदान ईकाई आदि से, ये दोनो इकाईयां लगभग एक 5 मीटर केबल की सहायता से जुड़ी हुई होती हैं। मतदान प्रणाली के समय यह नियंत्रण इकाई पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रहती है, जबकि मतदान इकाई को मतदान कक्ष के अंदर रखा जाता है।
मतदाता को मतपत्र जारी करने के बजाय नियंत्रण इकाई के पास बैठा अधिकारी मतदान बटन को दबाता हैं, इसके बाद मतदाता मतदान इकाई पर अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम को चुन कर तथा चुनाव चिन्ह के सामने नीले बटन को दबा कर बहुत ही सरल तरीके मतदान कर सकता है। इसकी सहायता से एक बार में अधिकतम 2000 मत दर्ज किए जा सकते हैं। इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), बेंगलुरु ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और हैदराबाद के सहयोग से और चुनाव आयोग द्वारा तैयार किया जाता है।
यह उपकरण भारत में पहली बार मई ,1982 में केरल राज्य के 70 पारुर विधानसभा क्षेत्र में प्रयोग किया गया। जबकि बाद में वर्ष 1999 लोकसभा चुनाव के बाद से ही भारत में हर लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया "इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन" की सहायता से ही संपन्न होती हैं।
ईवीएम मशीन का इतिहास :
ईवीएम या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन चुनावी प्रक्रिया में मुख्य आधार माना जाता है सबसे पहले इसका इसकी कल्पना सन 1977 में चुनाव आयोग में की गई थी इसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद को इसे डिजाइन तथा प्रमुख रुप से विकसित करने का कार्य सौंप दिया था, तत्पश्चात इसे 1979 में एक प्रोटोटाइप के रूप में विकसित किया जिससे अगस्त 1980 में चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष प्रदर्शित किया गया था।
इसके बाद भारत में "भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL), बैंगलोर,एक अन्य सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम संभाग को इसमें शामिल किया गया जिसके तहत इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) हैदराबाद के साथ व्यापक सहमति के बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया।
भारत में पहली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का आविष्कार सन 1980 में "एम बी हनीफा" द्वारा किया गया था, तथा इसे "इलेक्ट्रॉनिक संचालित मतगणना मशीन" का नाम देकर इसका पंजीकरण 15 अक्टूबर 1980 को चुनाव आयोग द्वारा करवाया गया। यह आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भारत देश में सर्वप्रथम तमिलनाडु के छः शहरों में आयोजित एक सरकारी प्रदर्शनी में देश की जनता के समक्ष प्रदर्शित किया गया था।
तमिलनाडु में आयोजित इस सरकारी प्रदर्शनी के अंतर्गत जनता के समक्ष लाने के बाद से ही इसे बनाने की प्रक्रिया इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की सहायता से शुरू की गई। तत्पश्चात सन 1982 में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया जो कि केरल के पारूर विधानसभा क्षेत्र में किया गया। देखा गया कि केरल में 50 मतदान केंद्रों पर सबसे पहले ईवीएम के जरिए वोट डाले गए थे।
ईवीएम मशीन के प्रकार:
ईवीएम मशीन एक विस्तारित उपकरण है संभवतः सन 1979 के बाद इसमें काफी विकास किया गया है तथा इसे तीन प्रकारों में विस्तृत किया है :
1. M1 EVM:
ईवीएम मशीन वर्ष 2006 से पहले जो प्रयोग में ली गई है, उसे एम1 से नामांकित किया गया था। इसके अंतर्गत यह मशीन एक बार में 16 उम्मीदवारों तक के मतदान की सेवा प्रदान करने में सक्षम हैं जो कि बहुत ही कम मतगणना की शुरुआत थी।
2. M2 EVM
वर्ष 2006 के पश्चात प्रयोग में आने वाली ईवीएम मशीन को M2 से नामांकित किया गया है जो अधिकतम 64 उम्मीदवारों को नोटा सहित समायोजित करने के लिए चार मतपत्र इकाइयों को एक साथ जोड़ सकती हैं तथा जिसका उपयोग एक नियंत्रण इकाई के साथ भी किया जा सकता है।
3. M3 EVM
एम3 ईवीएम मशीन के तहत यह 2006 के बाद 2013 से काम में आने वाली एक ऐसी उन्नत मशीन सामने आई हैं जिसके अंतर्गत 24मतपत्रों की इकाईयों को 384 उम्मीदवारों को नोटा सहित समायोजित करने के लिए एक साथ जोड़ा जा सकता है। M3 एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो कि 7.5 वोल्ट वाले पावर बैटरी से चलता है। बस यह एक नियंत्रण इकाई के साथ प्रयोग किया जाना चाहिए।
इस मशीन में वोट बटन के साथ बीयू के दाई ओर दृष्टिबाधित मतदाताओं के मार्गदर्शन के लिए बीच में 1 से 16 अंक अंकित है। अर्थात यह उपकरण 4 से अधिक बीयू बटन नियंत्रण से जुड़े हुए हैं जोकि 5वीं, 9वीं,13वीं व 17वीं और 21वीं मतपत्र इकाइयों में पावर पैक पर डाले जाते हैं। भारत निर्वाचन आयोग ने M3 ईवीएम ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर (ईटीएस) को एक आधुनिक इन्वेंट्री प्रबंधन प्रणाली के रूप में पेश किया, जहां सभी ईवीएमएस / वोटर वैरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल(वीवीपैट) की पहचान और भौतिक उपस्थिति को वास्तविक समय के आधार पर ट्रैक किया जाता है।
एम3 ईवीएम में प्रत्येक मशीन में डिजिटल सत्यापन प्रणाली कोडित है जो इसकी दोनो घटक इकाइयों को जोड़े रखने के लिए आवश्यक है। यह सुनिश्चित करने के लिए सील की कई परतें हैं कि यह उपकरण एक छेड़छाड़-प्रूफ है। वर्तमान में इस मशीन की लागत कम से कम 17 हजार रुपये हैं।
ईवीएम मशीन की कार्यप्रणाली:
जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि ईवीएम मशीन एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मतदान यंत्र है जो कि दो इकाइयों से बनी हुई है, जिसकी एक इकाई कंट्रोल यूनिट या नियंत्रण इकाई और दूसरी बैलेंटिंग यूनिट या मतदान इकाई । ये दोनो इकाईयां आपस में 5 मीटर की एक केबल की सहायता से जुड़ी होती है। इसकी कार्यप्रणाली के अंतर्गत नियंत्रण इकाई पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती हैं और दूसरी इकाई बैलेंटिग यूनिट मतदान कक्ष, वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर सुरक्षित तय स्थान पर रखी जाती है।
मतदान कक्ष के अंदर मतदाता के समक्ष मतपत्र जारी करने के बजाय मतदाता को कंट्रोल यूनिट के प्रभारी मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट अथवा नियंत्रण इकाई पर मतपत्र बटन दबाकर एकमत जारी करते हैं। तत्पश्चात मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार तथा दांयी ओर ठीक सामने चुनाव चिन्ह, बैलेट यूनिट पर नीले बटन को दबाकर अपनी पसंद के उम्मीदवार का आसानी से चुनाव कर सकता है।
बैलट पेपर बनाम ईवीएम मशीन
भारतीय चुनाव प्रणाली के अंतर्गत ईवीएम मशीन और बैलट पेपर दोनों के द्वारा चुनावी प्रक्रिया संपन्न की जाती है।
आइए आज हम आपको बैलट पेपर बनाम ईवीएम मशीन के बारे में बताते हैं -
1. बैलट पेपर: बैलट पेपर एक कागज की शीट को कहा गया है जिससे चुनाव प्रक्रिया के अंतर्गत मुख्य रूप से प्रयोग में लिया जाता हैं। प्रथमदृष्टया यह एक ऑफलाइन चुनाव प्रणाली है। भारत में राष्ट्रपति के चुनाव आज भी इसी प्रक्रिया से किया जाता है। चुनाव प्रक्रिया के दौरान बैलट पेपर पर सूचीबद्ध तरीके से आम भाषा में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नाम तथा उनका चुनाव चिन्ह और चुनाव पार्टी के नाम अंकित किए होते हैं।
मतदाता को मतदान करते समय इस पेपर के समक्ष खड़ा होकर अपने मनपसंद प्रतिनिधि के चुनाव निशान पर मोहर लगाकर मतदान करना होता है। इस प्रकार से बैलट पेपर के द्वारा एक प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता हैं।
2. Evm Machine : यह एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मतदान यंत्र है। यह भारतीय चुनाव प्रणाली के अंतर्गत वोट डालने का एक डिजिटल तरीका है। इससे पहले वोट डालने के लिए किसी कागज का इस्तेमाल किया जाता था,उस दौरान काफी कागज लग जाते थे
और अब ईवीएम मशीन की सहायता से बिना किसी कागज के कम समय में अधिक वोट डाले जाते हैं। जिसमें दो इकाईयां होती हैं जो आपस में एक केबल की सहायता से जुड़ी होती हैं। इस मशीन के द्वारा मतदाता को अपने मनपसंद प्रतिनिधि के नाम और उसके चुनाव चिन्ह के आगे सिर्फ एक बटन दबाना होता हैं जो कि बहुत ही सरल प्रक्रिया होती हैं तथा इसकी सहायता से कम समय में अधिक मतदान दर्ज किए जा सकते है।
ईवीएम चुनाव प्रणाली के प्रयोग के फायदे :
बैलट पेपर के मुताबिक ईवीएम द्वारा चुनाव करना कई तरह से फायदेमंद होता हैं और यह एक सटीक चुनाव प्रणाली भी मानी गई हैं। जिसके अंतर्गत कोई छेड़-छाड़ नही की जा सकती हैं। इसके अलावा भी यह बैलट पेपर द्वारा चुनाव प्रणाली की तुलना में कम खर्च में और कम समय में S चुनाव को संपन्न करा देती हैं।
तो आइए आज हम आपको बैलट पेपर की तुलना में ईवीएम मशीन द्वारा चुनाव प्रणाली के फायदे के बारे में विस्तार से बताते हैं:
1. ईवीएम मशीनों को मतपेटियों की तुलना में आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया ले जाया सकता है। जिससे इसकी सहायता से किसी भी दुर्गम इलाकों में भी जनता को मताधिकार का मौका मिल सकता है।
2. आधुनिक ईवीएम मशीन की लागत लगभग 17हजार रुपए है जो कि बैलट पेपर मतदान प्रणाली के अंतर्गत होने वाले खर्च, जैसे - कर्मचारियों की तनख्वाह, मतपत्रों की छपाई, तथा मतपेटियों को इधर - उधर लाने ले जाने हेतु परिवहन खर्च के जैसे लाखों रुपए की बचत।
3. एक गणितीय अनुमान के मुताबिक राष्ट्रिय चुनाव में लगभग 10,000 टन मतपत्र (कागजों) पर होने वाले खर्च को ईवीएम चुनाव प्रणाली द्वारा बचाया जा सकता है।
4. ईवीएम मशीन द्वारा चुनाव प्रणाली के अंतर्गत एक बार में एक ही बार मतदान किया जा सकता हैं अर्थात् फर्जी मतदान की आशंका कम रहती हैं जबकि मतपत्रों के द्वारा फर्जी मतदान किए जा सकते हैं।
5. ईवीएम चुनाव प्रक्रिया के अंतर्गत ईवीएम में नियंत्रण इकाई में मतदान के परिणामों को लंबे समय तक मेमोरी में सुरक्षित रख सकते हैं, जिससे कि भविष्य में किसी तरह के विवाद की स्थिति में कभी भी दुबारा मतों की गणना की जा सकती हैं।
6. बैलट पेपर (मतपत्र) की तुलना में ईवीएम मशीन द्वारा चुनाव प्रणाली में निरक्षर लोगों को भी आसानी से मतदान करवाया जा सकता हैं।
7. ईवीएम मशीन द्वारा चुनाव प्रणाली के अंतर्गत मतदान के साथ-साथ मतदान की गणना भी कम समय में तेजी से की जा सकती हैं जिससे लोग अपने नौकरी और कारोबार को पुनः समय पर ज्वाइन कर लेते हैं। जिससे समय की काफी बचत होती हैं।
8. ईवीएम मशीन द्वारा मतदान प्रणाली को बैटरी की सहायता से सुचारू रूप से चलाया जा सकता है जिससे ऐसे गांव-गलियों में भी मतदाताओं को मतदान करने में कोई आपत्ति नहीं होती हैं जिन इलाकों में बिजली उपलब्ध नही हों।
9. भारतीय ईवीएम मशीन को अधिक समय तक काम में लिया जा सकता हैं अर्थात् इसे कम से कम 15वर्ष तक उपयोग में लाई सकती हैं , जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि यह बहुत ही कम लागत में चुनाव प्रणाली को संपन्न करती हैं।
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