COAL SCAM in INDIA
Coal Scam in India
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परिचय- कोयला लकड़ी के अंगारो को बुझाने पर बचे हुए अंश को कोयला कहा जाता हैं। कोयला एक प्राकृतिक संसाधन हैं, इसका प्रयोग कर अनेक पदार्थों जैसे मदिरा, तेलो, रसायनों और अश्रुगैसो के परिष्कार के लिए किया जाता हैं। कोयला बारूद का भी एक आवश्यक अवयव हैं। कोयला चार प्रकार का होता है। कोयले का उत्पादन भारत के साथ-साथ चीन, यूरोप, आस्ट्रेलिया, रूस, इंडोनेशिया, जर्मनी आदि बड़े बड़े देशों में भी होता हैं।
भारत में कोयला खनन की शुरुआत बहुत ही फायदेमंद रही हैं, कोयला आज देश के आर्थिक व औद्योगिक विकास के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैं परन्तु इससे पहले 18 वीं शताब्दी में कोयला भारत की बर्बादी के लिए भी इस्तेमाल होने लगा था, क्योंकि कुछ लोगो ने इसका गलत उपयोग किया। लोगों को सरकार ने अपनी मर्जी से निजी और सरकारी क्षेत्रों में आवंटित कर दिया, जिससे कुछ वर्षों तक लोगो ने अनियमितता बरती जिससे कोयला विभाग में घोटाला होना शुरू हो गया।
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कोयला घोटाला- वैसे तो राजनैतिक स्तर पर देखा जाए तो आए दिन पक्ष- विपक्ष की तरफ से कई मामलों को छोटे स्तर से ऊंचा उठाकर बढ़ा चढ़ाकर घटिया बताने की होड़ लगी रहती हैं और वास्तव में कुछ मामले सच भी होते हैं, इसी तरह आज हम बात करते है कोयला घोटाले की तो यह सत्य है साबित होता आ रहा हैं कि इसने भारत में राजनैतिक भ्रष्टाचार को नया रूप दे दिया है अर्थात् जिसमें नियंत्रण एवम् महा लेखापरीक्षक (CAG) ने भारत सरकार पर कुछ ऐसा आरोप लगाया है कि भारत देश में कोयला भण्डार अपने पक्ष के लोगों में आवंटित कर दिए गए जो कि निजी और सरकारी क्षेत्रों में भी आवंटित किए, जिससे कुछ वर्षों से सरकार को बहुत नुकसान भी भुगतना पड़ रहा हैं और बहुत नुकसान भी हुआ हैं। देखा जाए तो संसद में पेश कैग रिपोर्ट में भी जुलाई 2004 से 2009 के बीच कहीं कोयला ब्लॉक आवंटित करे गए जिससे कि अब तक की नजर में लगभग 1.5 - 2.00 लाख करोड़ तक का नुकसान होने तक का अनुमान लगाया गया हैं। इसका मुख्य कारण यही रहा हैं कि कोयला खदानों के ठेके हर किसी को दिए गए और इसमें काफी अनियमितता बरती गई। इन्हे बहुत ही सस्ती कीमतों पर बगैर किसी बोली - नीलामी के भी खदानों से कोयला निकालने ठेके निजी कम्पनियों को दिए गए थे। इससे वास्तव में सरकारी खज़ाने को बहुत बड़ा झटका भी लगा। देखा जाए तो इस काल में सरकारी राजनेताओं कि खासी लापरवाही रही होगी, कहा गया हैं कि भारत में लोकतांत्रिक काल में पहली बार ही ऐसा हुआ कि किसी मामले में देश के प्रधानमंत्री तक पे उंगलियां उठाई गई। कुछ लोगों ने तो उस कोयला घोटाले काल में प्रधानमंत्री के इस्तीफे देने तक की मांग भी की गई, परन्तु कोयला घोटाले के इस नुकसान ने जनता की नजर राजनैतिक भ्रष्टाचार पर खासी गिरी। अब धीरे धीरे कोयला घोटाले के उबरने के नए तरीके अपनाए गए हैं, जिसके तहत भारतीय सरकार ने काफी नए नियम लागू किए तथा कठोर कदम उठाए हैं -
वर्तमान में - मोदी सरकार ने कोरोना संकट से देश को उबारने के लिए एवं भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूरी तन्मयता के साथ जुड़ी हुई हैं साथ ही हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राइवेट क्षेत्र में 41 कोयला ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है,पीएम मोदी ने यह भी कहा कि कोयला सेक्टर में हो रहे बदलाव इस सेंटर में हो रहा निवेश और इससे लोगो के जीवन में भरी बदलाव देश की प्रगति में सार्थक साबित होगा। साथ ही मोदी सरकार ने कोयला सेक्टर के लिए और भी कई कड़े कदम उठाने का ऐलान किया,मोदी सरकार देश में कोयला क्षेत्र को पूरी आत्मनिर्भर बनाने में सलंग्न है, माना जा रहा है कि भारत को आत्मनिर्भर बनाना मोदी सरकार का अहम लक्ष्य है और इसी आत्मनिर्भर भारत अभियान में सबसे महत्वपूर्ण कदम को आगे बढ़ाते हुए मोदी जी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने कोयला और माइनिंग सेक्टर को कॉम्पिटिशन, कैपिटल के अलावा भागीदारी और तकनीक के लिए पूरी तरह से खोलने का बहुत ही बड़ा फैसला लिया है। देखा जा रहा हैं कि इस तरह के रिफॉर्म्स के बाद अब कोल प्रोडक्शन पूरा कोल सेक्टर भी एक तरह से आत्मनिर्भर होता चला जाएगा।
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