Chaska Chai Ka: Origin, Types, and Benefits of Tea
चाय की उत्पत्ति एवं चाय से जुडी कहानियाँ:
माना जाता है कि चाय की उत्पत्ति भारत में 5000 साल से भी पहले हुई हैं। इसके पीछे एक राजा की कहानी छिपी हुई हैं जो कि बताया जाता है कि एक भारतीय राजा ने पुराने जमाने में कुछ जड़ी- बूटियों और मसालों का उपयोग करके एक पेय पदार्थ तैयार करवाया था। जिससे कि इंसान की थकावट दूर की जा सके और यह अभ्यास उस राजा ने अपने सेवक को आयुर्वेद में उपयोग के लिए एक औषधीय मसालेदार पेय बनाने का आदेश दिया इसके अंतर्गत एक पारंपरिक औषधीय अभ्यास जिसमें कुछ जड़ी- बूटियों और मसालों का उपयोग करके गर्म पेय पदार्थ कुछ उपचार के लिए तैयार किया गया था। उसी पेय पदार्थ को हम आज चाय के नाम से जानते आ रहे हैं।
चाय की उत्पति को लेकर एक और कहानी प्रचलित है जिसके अनुसार माना जाता है कि चाय का इतिहास चीन देश से जुड़ा हुआ है कुछ वैज्ञानिकों के मुताबिक चाय की खोज चीन के शासक शेंग नूंग ने की थी। इसके पीछे की कहानी यह थी कि एक दिन चीन के शासक शेंग नुंग के सामने एक गर्म पानी का प्याला रखा था,और कुछ सूखी पत्तियां उड़कर उस गर्म पानी के प्याले में आ गिरी जिससे पानी का रंग कुछ बदल सा गया था, और जब उन्होंने उस बदले हुए रंग के पानी का स्वाद जानना चाहा तो उसे चख कर देखा तो उन्हें वह सवाद बहुत अच्छा लगा था। तभी से शैंग नंग ने फिर अगली बार भी इसी तरह किसी गर्म पानी में चाय की पत्तियों को डालकर इसका स्वाद चखा तो चाय का स्वाद पसंद आया तो यहीं से चाय का सफर शुरू हुआ। अंग्रेजी में चाय शब्द को TEA नाम से जाना जाता हैं जिसका फुल फॉर्म है - Tea and Energy Admitted.
माना जाता है कि चाय की उत्पत्ति भारत में 5000 साल से भी पहले हुई हैं। इसके पीछे एक राजा की कहानी छिपी हुई हैं जो कि बताया जाता है कि एक भारतीय राजा ने पुराने जमाने में कुछ जड़ी- बूटियों और मसालों का उपयोग करके एक पेय पदार्थ तैयार करवाया था। जिससे कि इंसान की थकावट दूर की जा सके और यह अभ्यास उस राजा ने अपने सेवक को आयुर्वेद में उपयोग के लिए एक औषधीय मसालेदार पेय बनाने का आदेश दिया इसके अंतर्गत एक पारंपरिक औषधीय अभ्यास जिसमें कुछ जड़ी- बूटियों और मसालों का उपयोग करके गर्म पेय पदार्थ कुछ उपचार के लिए तैयार किया गया था। उसी पेय पदार्थ को हम आज चाय के नाम से जानते आ रहे हैं।
चाय की उत्पति को लेकर एक और कहानी प्रचलित है जिसके अनुसार माना जाता है कि चाय का इतिहास चीन देश से जुड़ा हुआ है कुछ वैज्ञानिकों के मुताबिक चाय की खोज चीन के शासक शेंग नूंग ने की थी। इसके पीछे की कहानी यह थी कि एक दिन चीन के शासक शेंग नुंग के सामने एक गर्म पानी का प्याला रखा था,और कुछ सूखी पत्तियां उड़कर उस गर्म पानी के प्याले में आ गिरी जिससे पानी का रंग कुछ बदल सा गया था, और जब उन्होंने उस बदले हुए रंग के पानी का स्वाद जानना चाहा तो उसे चख कर देखा तो उन्हें वह सवाद बहुत अच्छा लगा था। तभी से शैंग नंग ने फिर अगली बार भी इसी तरह किसी गर्म पानी में चाय की पत्तियों को डालकर इसका स्वाद चखा तो चाय का स्वाद पसंद आया तो यहीं से चाय का सफर शुरू हुआ। अंग्रेजी में चाय शब्द को TEA नाम से जाना जाता हैं जिसका फुल फॉर्म है - Tea and Energy Admitted.
भारत में चाय का उत्पादन कहाँ - कहाँ होता है?
चाय एक ऐसा पेय पदार्थ है कि इस नाम से शायद नहीं दुनिया में कोई अनजान होगा। भारत में चाय का उत्पादन उत्तरी भारत भाग में होता है इसका उत्पादन उत्तरी भारत के आसाम में तथा आसाम के बाद इसका उत्पादन ज्यादा से ज्यादा पश्चिम बंगाल,त्रिपुरा,अरुणाचल प्रदेश,मिजोरम,मेघालय,बिहार, उड़ीसा,तमिलनाडु,केरल,मणिपुर, उत्तराखंड,कर्नाटक,हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और सिक्किम राज्य में इसका उत्पादन किया जाता है ।इन राज्यों मे हर वर्ष करीब 564 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में चाय का अधिकतम उत्पादन किया जाता हैं।
चाय एक ऐसा पेय पदार्थ है कि इस नाम से शायद नहीं दुनिया में कोई अनजान होगा। भारत में चाय का उत्पादन उत्तरी भारत भाग में होता है इसका उत्पादन उत्तरी भारत के आसाम में तथा आसाम के बाद इसका उत्पादन ज्यादा से ज्यादा पश्चिम बंगाल,त्रिपुरा,अरुणाचल प्रदेश,मिजोरम,मेघालय,बिहार, उड़ीसा,तमिलनाडु,केरल,मणिपुर, उत्तराखंड,कर्नाटक,हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और सिक्किम राज्य में इसका उत्पादन किया जाता है ।इन राज्यों मे हर वर्ष करीब 564 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में चाय का अधिकतम उत्पादन किया जाता हैं।
दिन की शुरुआत चाय के साथ:
चाय के दीवानो को तो चाय का नाम सुनते ही रूह कांपने लगती हैं कि इसका स्वाद ही कुछ ऐसा होता है कि लोग इसका नाम सुनकर इसे पिए बिना नहीं रह सकते हैं। कई लोगों की तो चाय के बिना सुबह ही नहीं होती यानी कि सुबह उठते से ही दिन की शुरुआत चाय से ही होती है बिना चाय के लोगों की सुस्ती ही नहीं जाती।
चाय के दीवानो को तो चाय का नाम सुनते ही रूह कांपने लगती हैं कि इसका स्वाद ही कुछ ऐसा होता है कि लोग इसका नाम सुनकर इसे पिए बिना नहीं रह सकते हैं। कई लोगों की तो चाय के बिना सुबह ही नहीं होती यानी कि सुबह उठते से ही दिन की शुरुआत चाय से ही होती है बिना चाय के लोगों की सुस्ती ही नहीं जाती।
चाय के प्रकार एवं इनके के फायदे:
भारत में चाय के बहुत से प्रकार जैसे कि ब्लैक टी, रेड टी, ग्रीन टी, वाइट टी और औलॉन्ग टी पाए जाते हैं और यहां के लोगों में इन सभी प्रकारों की चाय को पीने का शौक भी देखा जा सकता है। कुछ लोग इसके अच्छे प्रभाव यानि अच्छे फायदे और शारीरिक उपचार के लिए चाय के अलग - अलग प्रकारों का उपयोग करते हैं।
तो आइए हम आज आपको चाय के अलग - अलग प्रकार की चाय और इसके सेवन से होने वाले फायदे के बारे में बताते हैं : -
यह चाय टेपिओका पर्ल्स का उपयोग कर बनाई जाती हैं,इसके साथ ही इसमें चाय की पत्ती और ब्राउन शुगर को दूध में मिलाकर बनाई जाती हैं कई लोग इस चाय को बनाने में टेपिओका पर्ल्स की जगह साबूदाने का उपयोग भी करते हैं, परंतु टेपिओका पर्ल्स से बनी हुई चाय शरीर के लिए ज्यादा फायदेमंद होती हैं एक स्टडी के अनुसार एस्मे 300 - 400 तक कैलोरी होती हैं जो कि बहुत सेहतमंद भी होती हैं और अधिक कैलोरी होने से यह एनर्जी को बूस्ट करती हैं।
एक शोध के अनुसार इस चाय में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं तथा टेंशन और थकान को भी दूर लगाते हैं।
भारत में चाय के बहुत से प्रकार जैसे कि ब्लैक टी, रेड टी, ग्रीन टी, वाइट टी और औलॉन्ग टी पाए जाते हैं और यहां के लोगों में इन सभी प्रकारों की चाय को पीने का शौक भी देखा जा सकता है। कुछ लोग इसके अच्छे प्रभाव यानि अच्छे फायदे और शारीरिक उपचार के लिए चाय के अलग - अलग प्रकारों का उपयोग करते हैं।
तो आइए हम आज आपको चाय के अलग - अलग प्रकार की चाय और इसके सेवन से होने वाले फायदे के बारे में बताते हैं : -
1. ब्लैक टी (Black Tea): ब्लैक टी का इस्तेमाल बहुत से लोग करते हैं । ब्लैक टी चाय की फर्मेंटेड पत्तियों से बनाई जाने वाली चाय होती हैं जिसमें कैफीन की मात्रा सबसे ज्यादा होती हैं। कुछ शोध के अनुसार इस चाय को पीने से इंसान के स्मोकिंग से खराब होने वाले फेफड़ों के नुकसान को यह कम करने में सहायक होती हैं अर्थात् मानव शरीर के लिए यह फायदेमंद भी होती है परंतु कैफीन की अधिकता होने के कारण जरूरत से ज्यादा इसका सेवन करना इंसानी शरीर के लिए नुकसानदायक भी माना गया है।
2. रेड टी (Red Tea): रेड टी को मानव शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद माना गया है यह चाय दुनिया में दक्षिण अफ्रीका में एक हर्ब रोइबोस नामक पौधे की फॉर्मेटेड पत्तियों से तैयार की जाती है इसमें फ्लेवोनोयाड्स कंपाउंड्स पाए जाते हैं जोकि कैंसर जैसी बीमारी के लिए एंटीवायरस का काम करते हैं अर्थात् इस चाय के सेवन से हम कैंसर जैसी बीमारी से बच सकते हैं। इस चाय को आरामदायक चाय भी माना जाता है ।
3. ग्रीन टी (Green Tea): ग्रीन टी यह एक हर्बल चाय मानी जाती हैं जो कि चाय की पत्तियों को स्टीम कर के तैयार की जाती हैं। इस चाय में एपिगलोकेटन गेलेट नामक कंपाउंड काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है जिससे यह हमारे लिए स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती हैं। हमारे शरीर के लिए यह बहुत ही फायदेमंद भी होती हैं। यह बहुत सी बीमारियों से बचाव में भी सहायक होती हैं जैसे ब्लड कैंसर,फेफड़े, पेट, पेनक्रिएटिक एवम ब्रेस्ट कैंसर आदि बीमारियों के खतरे को कम करने में काफी सहायक होती हैं। दूसरी तरफ ग्रीन tea का इस्तेमाल अक्सर लोग वजन घटाने के लिए भी करते हैं।
4. बबल टी (Bubble Tea): हमने अभी तक आपको ग्रीन टी, ब्लैक टी, हर्बल टी, इन सब के लिए बताया है परंतु "बबल टी"यह आपने शायद ही सुना होगा जो कि आधुनिक जमाने की चाय हैं जो आजकल लोगों में ज्यादा पसंद की जा रही हैं।यह एक नई तरह की चाय जो नाम से भी काफी दिलचस्प प्रतीत होती हैं। वैसे हम आपको बता दें कि इस "पर्ल मिल्क टी" भी कहा जाता हैं।परंतु इसका "बबल टी" नाम इसमे डाले जाने वाले इनग्रेडिएंट्स के कारण पड़ा है। यह चाय नाम से अभी आपको नई-नई लग रही होंगी परंतु चाय के इतिहास की माने तो इस चाय की जड़े बहुत पुरानी है। एक शोध के अनुसार इसकी खोज ताइवान में 1980 के दशक में ही हो गई थी लेकिन भारत के लोगों में यह अब उपयोग में आने लगी हैं।
एक शोध के अनुसार इस चाय में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं तथा टेंशन और थकान को भी दूर लगाते हैं।
5. वाइट टी (White Tea): वाइट टी यह एक सामान्य चाय मानी जाती हैं जिसकी सबसे कम प्रोसेस होती हैं। एक शोध के अनुसार अन्य चाय के मुकाबले वाइट टी में एंटी कैंसर गुण अधिक पाए जाते हैं। आमतौर पर वाइट टी का इस्तेमाल लोग अक्सर फैट कम करने के लिए करते हैं और यह वास्तव में मानव शरीर में फैट कम करने के लिए काफी मददगार साबित होती हैं। इसमें कैफिन और एजीसीजी कंपाउंड की मात्रा लगभग एक से होती हैं यही वजह है कि यह मानव शरीर में मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में सहायक होती हैं तथा यह त्वचा संबंधी रोगों को कम करने के लिए भी मदद करती हैं।
6. ओलोंग टी (Oolong Tea): यह एक ऐसी चाय है जिसमें चाय की पत्तियों को गोपियों को और चाय के तनु को मिलाकर बनाई जान जाती हैं। इसे बहुत कम लोग इस्तेमाल करते हैं परंतु इससे भी बहुत से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। मुख्यतः इसका इस्तेमाल मानव शरीर में मेटाबॉलिज्म बेहतर करने में तथा थकावट को दूर करने में प्रभावशाली होता है। एक शोध के अनुसार ओलॉन्ग टी के इस्तेमाल से हम कैंसर को घटाने में तथा ब्रेन फंक्शन को सुचारू रखने में एवं वजन घटाने में कर सकते हैं।
7. गुड़हल टी (Hibiscus Tea): गुड़हल के यह गुड़हल के पत्तों से बनाई जाती हैं एक शोध के अनुसार रोज तीन कप गुड़हल टी पीने से लोगों को ब्लड प्रेशर को कम करने में काफी मदद मिलती हैं। गुड़हल टी के इस्तेमाल से हमें सु स्वास्थ्य और शरीर के वजन को घटाने में भी सहायता मिलती हैं।
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