16 Old Idioms and Phrases From the Land of Rajasthan
16 Old & Famous Idioms & Phrases From the Land of Rajasthan
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1. काल पड़े तो कुम्भा धानी,
मेह बरसे तो मजूरी इहानी ।
अर्थ: - मेवाड़ के महाराजा राणा कुम्भा की प्रजा कहती है की अकाल पड़ने पर कुम्भा मालिक है जो हमारी सहायता करेंगे और अगर बारिश अच्छी होती है तो रोज़गार की कमी न रहेगी ।
2. सियाले खातु भालो, उनाले अजमेर,
नगीनो नित ही भालो, सावन बीकानेर ।
अर्थ: - जाड़े का आनंद खातु में और गर्मी का आनंद अजमेर में लिया जा सकता है । नागौर में तो सालभर मौसम खुशगवार होता है जबकि बीकानेर में बरसात ज्यादा सुन्दर लगती है ।
3. मारवाड़ नर निपाजे, नारी जैसलमेर,
तुरी तो सिंधन संत्रा, काशल बीकानेर ।
अर्थ: - सबसे खूबसूरत लोग मारवाड़ में पैदा होते है और सबसे खूबसूरत औरतें जैसलमेर की होती है । सिंध के घोड़े और बीकानेर के ऊंट सबसे अचे होते है ।
4. बिजनस पावन सुरियो बाजे, घासी पालक माहि मेह गाजे ।
अम्मर रच्यो, मोह मच्यो ।
अगस्त उग्यो, मेह पूग्यो ।
अर्थ: - अगर उतर-पश्चिम से हवा बहती है तो समझना चाहिए की बारिश होने ही वाली है ।
गुलाबी आकाश हो तो बारिश जरूर होगी ।
अगस्त के तारे उगते ही बरसात का महीना संम्पत हो जाता है ।
5. गाँव-गाँव गोगा नै गाँव-गाँव खेजड़ी ।
अर्थ: - लोकप्रिय नायक गोगा जी , जिनकी पूजा देवता के रूप में होती है, का मंदिर वैसे ही हर गाँव है जैसे खेजड़ी पेड़ हर जगह पाया जाता है ।
6. जे नई देखो जैपरियो तो, कुल में आकर के करियो ।
अर्थ: - अगर किसी नई जयपुर नहीं देखा तो उसके जीने का क्या फायदा ?
7. कनै पिसा तो जयपुर नईं तो जमपुर ।
अर्थ: - अगर जेब भरी हो तो जयपुर का मजा मिलता है, जिसके पास पैसे नहीं उसके लिए तो यहाँ नरक समान है ।
8. शमशीर तोह सिरोही की साम्भर पड्यो सो लूण ।
अर्थ: - सांभर के खारे झील में जो कुछ भी गिरता है वो नमक ही बन जाता है ।
9. बाणियो लिखे पढ़े करतार ।
अर्थ: - बनिया अपनी खराब हस्तलिपि में जो कुछ लिखता है उसे तो भगवान् ही पढ़ सकते है ।
10. बंधी भारी लाख की, खुल्ली बिखर ज्याय ।
अर्थ: - संयुक्त परिवार में रहने से प्रतिष्ठा बनी रहती है, भाइयों के अलग-अलग होने से इज़्ज़त जाती रहती है ।
11. माया अंट की, विद्या कंठ की ।
अर्थ: - जेब में पैसे का महत्व होता है, विद्या जो अनुभव से प्राप्त हो वही काम की होती है ।
12. रण खेती रजपूत री।
अर्थ: - राजपूत के लिए युद्धभूमि ही उसका खेत है ।
13. सुर न पूछे टिपणौ, सुकन न देखे सुर ।
अर्थ: - बहादुर इंसान ज्योतिषियों को अपनी जन्मकुंडली नहीं दिखाते और न ही वे शगुन आदि में विश्वास करते है ।
14. सावन में जो सूर्यों चले, भादवे पुरवाई।
आसोजन में पिछवा चले, भर-भर गाड़ा लाई ।
अर्थ: - अगर सावन में हवा उत्तर-पश्चिम बहती हो, भादो में पूर्व से बहती हो और आश्विन में पश्चिम से बहती हो तो फसल भरपूर होगी ।
15. चिड़ी जै न्हावे धुल में, मेहा आवनहार।
जला मै न्हावे चिड़कली मेह विदा तिण वार ॥
अर्थ: - अगर गोरैया बालू में लोटे तो खूब बारिश होने वाले होती है । लेकिन आहार यह पानी में नहाती है तो बारिश बिल्कुल नहीं होगी ।
16. चाँद उग्यो सूरज छिप्यो जी देस्यां थारां मारुजी मिलाय ।
अर्थ: - चाँद उग आया है और सूरज डूब रहा है । अब मेरा प्रियतम वापस आएगा । मिलन की उम्मीद भरपूर है ।
Source: Rajasthan Folk Culture and Literature
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