हरतालिका तीज कब है, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा
हरतालिका का अर्थ क्या होता है और हरतालिका तीज के दिन किस भगवान की पूजा की जाती है?
हरतालिका का संधि विच्छेद करने पर हमें दो शब्द मिलते है – हरत और आलिका । हरत का शाब्दिक अर्थ “अपहरण” और आलिका का अर्थ “महिला मित्र या सहेली” होता है । पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवी पार्वती की सहेली ने देवी पार्वती को उनके पिता के सैनिकों से छुपाया और बच निकलने में मदद की थी । हरतालिका तीज के दिन माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है ।
2023 में हरतालिका तीज कब है और हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त कितने बजे है?
हिन्दू पंचांगानुसार हरतालिका तीज भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है और इस वर्ष यानि की 2023 में हरतालिका तीज का त्योहार 18 सितंबर को मनाया जाएगा । तृतीया तिथि का प्रारंभ 17 सितंबर को सुबह 11:09 बजे से हो जाएगा और तृतीया तिथि की समाप्ति 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे होगी ।
ऐसी स्थिति में उदया तिथिनुसार हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा । हरतालिका तीज की पूजा का समय 18 सितंबर सुबह 6 बजे से रात के 8 बजकर 24 मिनट तक है । पूजा का श्रेष्ठ समय सुबह 6 बजकर 7 मिनट से 8 बजकर 34 मिनट तक है । प्रदोष काल में तीज की पूजा करना बेहद अच्छा और शुभ माना जाता है तो आप प्रदोष काल में भी देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा कर सकते है।
हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है या हरतालिका तीज का व्रत क्यों रखते है?
हिन्दू धर्म में सभी तीज त्योहारों का विशेष महत्व होता है । हरतालिका तीज, जिसे हरितालिका तीज भी कहा जाता है, का विशेष महत्व है । हरतालिका तीज के दिन देवादिदेव महादेव और माँ पार्वती का पूजन किया जाता है । विवाहित महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत अपने दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना हेतु करती है । अविवाहित कन्याएँ मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए हरतालिका का व्रत रखती है ।
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी लेकिन उनके पिता राजा हिमालय उनका विवाह भगवान विष्णु के साथ करवाना चाहते थे । देवी पार्वती अपने पिता को नहीं मना पायी । देवी पार्वती ने अपनी सहेली से स्वयं का अपहरण करवाया और फिर गंगा के किनारे भगवान शिव की आराधना में ध्यान लीन हो गयी । देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे विवाह के लिए हाँ कर दिया ।
हरतालिका तीज में कौन सा रंग पहनना चाहिए और हरतालिका तीज पर कैसे कपड़े पहने?
तीज के त्योहार पर हरा रंग पहनना बहुत शुभ माना जाता है । ऐसा माना जाता है की भगवान शिव को हरा रंग प्रिय है इसलिए हरतालिका तीज के दिन हरे रंग के कपड़े और चूड़ियाँ पहननी चाहिए । आप लाल रंग के कपड़े भी पहन सकती है । इसके साथ ही महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है और हाथों और पैरों पर मेहँदी भी लगाती है ।
हरतालिका तीज का व्रत कौन रख सकता है और कैसे रखते है ?
हरतालिका तीज का ये पावन व्रत सुहागिन महिलाएं और अविवाहित कन्याएँ कर सकती है । विवाहित महिलाएं अपने दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना हेतु ये व्रत करती है । अविवाहित कन्याएँ मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए हरतालिका का व्रत रखती है । हरतालिका तीज का व्रत बहुत ही कठिन व्रत होता है । हरतालिका तीज के व्रत वाले दिन व्रत करने वाले को कुछ खाना- पीना नहीं चाहिए क्योंकि यह एक निर्जला व्रत होता है । इस व्रत का पारण अगले दिन होता है ।
हरतालिका तीज के दिन कितनी बार नहाना चाहिए?
हरतालिका तीज के दिन महिलाओं को सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर नहा लेना चाहिए और अगर आप पूजा शाम को करते है तो पूजा से पहले एक बार अवश्य नहा कर पवित्र होना चाहिए ।
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं क्या करती है ?
हरतालिका तीज के दिन विवाहित महिलाएं और अविवाहित कन्याएँ सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर नहाती है । इसके साथ ही सोलह श्रृंगार कर अपनी सहेलियों के साथ खेलती और झूले झूलती है और साथ ही तीज के गीत गाते हुए तीज के पावन त्योहार का आनंद लेती है । इसके साथ देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती है और पूरे दिन भजन- कीर्तन करती । इसके साथ ही रात्रि जागरण करती है और शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनती है ।
हरतालिका तीज में पूजा की थाली में क्या रखा जाता है?
हरतालिका तीज पर पूजा की थाली ने निम्नलिखित सामग्रियाँ अवश्य रखे –
शिवजी और माता पार्वती की मूर्ति रखने के लिए थाली, पूजा के लिए लकड़ी का पट्टा चौकी, चौकी पर बिछाने के लिए पीले रंग का कपड़ा, नारियल, पानी से भरा कलश, आम के पत्ते, दीप जलाने के लिए घी और दीया, अगरबत्ती-धूप, कपूर, पान के पत्ते, सुपारी, केले, बेलपत्र और धतूरा, शमी की पत्तियां, जनेऊ, माता पार्वती के लिए चुनरी, सुहाग का सामान, मेहंदी, काजल और सिंदूर, चूड़ियां-बिंदी, गौर बनाने के लिए मिट्टी, पंचामृत ।
हरतालिका तीज पर सुहाग की सामग्री:
हरतालिका तीज व्रत के लिए निम्नलिखित सुहाग की सामग्रियाँ आवश्यक होती है -
सुहाग की सामग्री में बिंदी, सिंदूर, कुमकुम, मेहंदी, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, महावर आदि ।
हरतालिका तीज की क्या कहानी है?
हरतालिका तीज की कहानी हिन्दू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण है और यह तीज का मुख्य कारण है । इस कथा के अनुसार, देवी पार्वती और उनकी एक प्रिय सहेली भगवान शिव की आराधना करती थी । हरतालिका कथा का संक्षेप निम्नलिखित है –
कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने अपने अराध्य भगवान शिव से विवाह करने के लिए व्रत का संकल्प लिया, लेकिन उनके पिता राजा हिमालय ने देवी पार्वती का विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध भगवान विष्णु से करना तय किया था । देवी पार्वती ने तब अपनी सखी के साथ मिलकर गिरिराज पर्वत के आँगन में चुपके से व्रत रखने का निश्चय किया ।
देवी पार्वती और उनकी सखी ने पहले पवित्र होने के लिए जल कुंड में स्नान किया और बाद में पशुपति शिव की पूजा करते हुए अपनी इच्छा अर्थात् पति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की । भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुन ली और उन्होंने देवी पार्वती की इच्छा को पूरा किया ।
हरतालिका तीज इसी कथा की याद में मनाई जाती है, और महिलाएं इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं, जिससे उनके पति की लम्बी आयु और खुशियों की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज पर पूजा और व्रत कैसे करें?
- हरतालिका तीज व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए ।
- हरतालिका तीज व्रत के दिन आप सुबह या प्रदोष काल (शाम का समय) में पूजा कर सकते है । (प्रदोष काल - सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व से सूर्यास्त के 45 मिनट बाद का समय)
- हरतालिका तीज के दिन भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। इसलिए हरतालिका तीज के दिन व्रत का संकल्प ले और गणेश जी, भगवान शिव, माँ पार्वती की मिट्टी से मूर्ति बनाए।
- अब इन प्रतिमाओं को एक चौकी पर स्थापित करें और इनका श्रृंगार करें ।
- अब एक-एक कर इन प्रतिभाओं पर पूजन की सामग्री चढ़ाएं । सबसे पहले विघ्न हरता श्री गणेश को तिलक लगाये और दूर्वा अर्पित करें ।
- इसके पश्चात महादेव को बेलपत्र, शमीपत्र, और फूल अर्पित कर और माँ पार्वती को सिंदूर और श्रृंगार का सामान अर्पित करें ।
- अब फल और मीठे का भोग लगाएं ।
- अब आप व्रत कथा पढ़े या सुने उसके बाद आरती करें ।
- व्रत का पारण अगले दिन करें ।
हरतालिका तीज व्रत: क्या ना खाएं
जिस दिन आप हरतालिका तीज का व्रत करने वाली हो तब उस से एक दिन पहले भी आपको अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए । व्रत से एक दिन पहले ज्यादा तेल मसाले से बने खाद्य पदार्थ और फास्ट फूड का सेवन ना करे । ऐसा खाना भूख बढ़ाता है और गैस और एसिडिटी भी कर सकता है, इसलिए जब भी आप कोई व्रत करे तो उससे एक दिन पहले आप हमेशा घर का बना हल्का खाना ही ले जैसे – खिचड़ी और हरी -पत्तेदार सब्जियां । व्रत से पहले ज्यादा मीठा खाने से भी बचना चाहिए ।
हरतालिका तीज का व्रत का पारण कैसे करना (कब तोड़ना) चाहिए?
हरतालिका तीज व्रत का पारण अगले दिन होता है । सूर्योदय से पूर्व नहा लेना चाहिए और उसके पश्चात गौरीशंकर की पूजा करनी चाहिए और उनका विसर्जन कर जल ग्रहण कर हरतालिका तीज व्रत का पारण करना चाहिए ।
हरतालिका तीज के दौरान आप क्या खा / क्या नहीं खा सकते है?
हरतालिका तीज का व्रत एक कठिन व्रत है । हरतालिका व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व आप कुछ भी खा या पी सकते है उसके पश्चात आपको पूरे दिन और रात निर्जला व्रत रखना होता है जिसका पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद ही किया जा सकता है ।
हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज में क्या अंतर है?
हरियाली तीज, कजरी तीज, और हरतालिका तीज तीन विभिन्न हिन्दू त्योहार हैं, जो भारत में खासतर विवाहित स्त्री के लिए महत्वपूर्ण होते हैं । सबसे पहले हरियाली तीज आती है उसके बाद कजरी तीज और फिर हरतालिका तीज आती है । इन तीज के त्योहारों में कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं जो इस प्रकार है -
हरियाली तीज:हरियाली तीज शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो श्रावण मास में आती है । इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य पतिव्रता स्त्रियों के लिए उनके पतियों की दीर्घायु और खुशियों की प्राप्ति होती है । इस दिन, महिलाएं हरियाली (हरा) कपड़े पहनती हैं, और व्रत रखती हैं और पूजा करती है , जिसमें वे फल, और फूल आदि का उपयोग करती हैं ।
कजरी तीज:कजरी तीज भी विवाहित स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण त्योहार है और इसे भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार उत्तर भारत के कई राज्यों में प्रमुख रूप से मनाया जाता है । इस दिन भी माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है ।
हरतालिका तीज:हरतालिका तीज भी भगवान शिव और पार्वती की पूजा का त्योहार होता है, और इसे भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है । इस दिन, महिलाएं व्रत रखती हैं और पूजा अर्चना करती हैं, जिसमें वे हरतालिका व्रत की कथा का पाठ या श्रवण करती हैं ।
इन तीनों तीजों में, महिलाएं अपने पतियों की लम्बी आयु और खुशियों की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं, और भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं, लेकिन ये तीनों त्योहार अलग-अलग तिथियों पर मनाए जाते हैं और उनकी कथाएं भी विभिन्न होती हैं ।
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