आचार संहिता: क्या होती है, कौन लगाता है, अवधि, और नियम
आचार संहिता: क्या होती है, कौन लगाता है, अवधि, और नियम
परिचय: आचार संहिता को आदर्श चुनाव आचार संहिता (Model Code of Conduct) भी कहा जाता हैं, आचार संहिता के तहत चुनावी प्रक्रिया के दौरान कार्यस्थल पर कर्मचारियों और नियुक्ताओं द्वारा पालन की जाने वाली नीतियां और नियम आदि के निर्देश दिए जाते हैं। इसका अर्थ चुनाव आयोग के द्वारा बनाये गए नियमों को लागू करने का दिशा-निर्देश होता हैं अर्थात् भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के लिए एक नियम प्रणाली तैयार की जाती है।
इसे तीन खंडों में बांटा जाता है तथा यह व्यावसायिक क्षमता, निष्पक्षता, गोपनीयता, सत्यनिष्ठा तथा उचित देखभाल आदि पांच मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित होती है। चुनावी राज्यों में इसके लागू होने की घोषणा चुनाव से पहले ही कर दी जाती हैं । इस दौरान चुनाव के समय प्रत्येक पार्टी और उम्मीदवार को आचार संहिता के नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है अन्यथा उनके विरुद्ध मुकदमा चलाया जा सकता हैं और उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती हैं।
आचार संहिता कौन लागू करता है ?
आचार संहिता भारतीय निर्वाचन आयोग के द्वारा लागू की जाती है तथा भारतीय निर्वाचन आयोग के द्वारा ही चुनाव से पहले इसके लागू होने की घोषणा तथा चुनाव के बाद इसके समाप्त होने की घोषणा की जाती है। आचार संहिता के तहत चुनावी प्रक्रिया के दौरान दिए गए नियम-निर्देश होते हैं जिसका पालन चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों तथा राजनीतिक दलों को करना अनिवार्य माना जाता है।
आचार संहिता की अवधि कितनी होती है ?
आदर्श आचार संहिता को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश में निर्वाचन अनुसूची की घोषणा की तारीख से ही लागू कर दिया जाता है और यह निर्वाचन प्रक्रिया के पूर्ण होने तक प्रवृत्त रहती है।
आचार संहिता की अवधि तय नहीं होती है सामान्यतः आचार संहिता राज्य में चुनावी अवधि पर निर्भर रहती है, चुनाव की तारीख के साथ ही इसके लागू होने की घोषणा कर दी जाती है तथा जब तक चुनाव प्रक्रिया संपन्न नहीं हो जाती हैं तब तक इसे समाप्त होने की घोषणा नहीं होती अर्थात मतदान परिणाम की घोषणा के साथ ही आचार संहिता समाप्त की घोषणा भी कर दी जाती है।
आचार संहिता क्यों लगाई जाती हैं ?
चुनावी मैदान में आचार संहिता लागू होना बहुत आवश्यक होता हैं क्योंकि इसका गठन एक कंपनी मैनुअल होता हैं जो राजव्यवस्था के लक्ष्यों, मूल्यों, नियमों तथा नैतिकता और दृष्टिकोण को बताती हैं। इसी के अनुसार निर्धारण किया जाता हैं कि राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार और सत्ताधारी दलों को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान व्यवहार कैसा करना चाहिए ।
आचार संहिता चुनाव से कितने दिन पहले लगती है ?
आचार संहिता निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनावी तारीख की घोषणा से साथ ही चुनावी राज्य में आचार संहिता लागू होने की कार्यकारिणी की भी घोषणा कर दी जाती है।
आचार संहिता के नियम क्या है ?
1. राजनीतिक सभाओं से सम्बंधित नियम
- चुनावी सभाओ के आयोजन के स्थान व समय की सम्पूर्ण सूचना आयोजन से पूर्व पुलिस अधिकारियों को दी जानी चाहिए।
- राजनैतिक दल या अभ्यर्थी पहले ही सुनिश्चित कर लेवें, कि जिस स्थान का चुनाव उनके द्वारा किया गया है, वहॉं कोई निषेधाज्ञा लागू न हो।
- चुनावी सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की पहले अनुमति लेवे तथा सभा के आयोजक विध्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता लेवे और देवें भी।
2. मतदान संबंधी नियम
- अधिकृत कार्यकर्ताओं को बिल्ले या पहचान पत्र दिए जाना चाहिए।
- मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची साधारण कागज पर हो और उसमें कोई भी चुनावी निशान अथवा प्रतीक चिन्ह न हो, किसी अभ्यर्थी या दल का नाम न हो।
- मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित न की जाए मतदान केन्द्र के पास लगाए जाने वाले कैम्पों में ज्यादा भीड़ न हो।
- कैम्प साधारण होने चाहिए।
- मतदान के दिन वाहन चलाने पर उसका परमिट अवश्य प्राप्त कर लेंवें।
3. सत्ताधारी दल के लिए नियम
- मंत्रियों को सरकारी दौरों पर पार्टी के प्रचार के साथ नहीं जोड़ना चाहिए, पार्टी के प्रचार के दौरान वह सरकारी मशीनरी तथा कर्मचारियों का उपयोग नहीं कर सकते है।
- सरकारी विमान व गाड़ियों का उपयोग पार्टी के प्रचार में नहीं कर सकते है।
- सभा स्थल या हैलीपैड बनाने के लिए किसी मैदान पर राजनैतिक सत्तादल का एकाधिकार नहीं हो सकता है, दूसरे दलों को भी उसी नियम और शर्तो के अंतर्गत यह स्थान उपलब्ध होगा, जिस नियम और शर्त से राजनैतिक सत्तादल को दिया जाता है।
- विश्रामगृह, डाक-बंगले, सरकारी आवासों या अन्य सरकारी आवासों पर भी सत्तादल का एकाधिकार नहीं होगा । सभी राजनैतिक दलों को निर्धारित शर्तो पर आवास आवंटित होगा परन्तु कोई भी राजनीतिक दल इसका उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर सकता है।
- सरकारी धन से कोई विज्ञापन समाचार पत्रों या टीवी चैनलों पर नहीं दिया जाएगा। मंत्रियों के शासकीय भ्रमण पर उस स्थिति में सिक्योरिटी गार्ड लगाये जाये जब वे किसी सरकारी आवास या सर्किट हाउस में ठहरे हों।
- किसी का भी स्थानांतरण तथा पदस्थापना के प्रकरण आयोग का पूर्व अनुमोदन होना आवश्यक होता है।
4. चुनावी रैली से सम्बंधित नियम
- रैली का आयोजन करने से पूर्व पुलिस से अनुमति प्राप्त करे।
- रैली का समय व आरंभ होने का स्थान, मार्ग और समाप्ति का समय निर्धारित कर पुलिस को सूचना देवें।
- ध्यान रहे कि रैली के आयोजन से किसी भी मार्ग पर यातायात प्रभावित न हो।
- राजनीतिक दलों का एक ही दिन, एक ही रास्ते से रैली निकालने का प्रस्ताव हो तो समय को लेकर पहले ही आपस में वार्तालाप कर लेनी चाहिए।
- रैली सड़क के दायीं ओर से ही निकाली जाए।
5.चुनाव आचार संहिता के आम नियम
- किसी भी राजनैतिक दल द्वारा कोई ऐसा कार्य नही किया जाना चाहिए जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के मध्य मतभेद की सम्भावना उत्पन्न होवे।
- धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
- मतदाता को अपनी पार्टी की और आकर्षित करनें के लिए जैसे-रिश्वत देना-लेना , मतदाताओं को परेशान करना या साधन सुविधाओं में कटौती करना आदि नहीं करना चाहिए।
- राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावना को आहत होती हो।
- किसी विपक्षी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें।
आचार संहिता में कौन से काम किये जाते और कौन से काम नहीं किये जाते हैं?
चुनावी सीजन में आचार संहिता के दौरान कई सरकारी आवश्यक कार्यो पर सरकार के द्वारा रोक लगा दी जाती है तथा कई कार्य इस दौरान आसानी से हो जाते है। इसके चलते लोगो के मन ये भ्रम रहता ही है कि किस कार्य को इस दौरान करवाया जा सकता है और किस कार्य को नहीं ?
जैसे कि कई सरकारी अधिकारियों के द्वारा आचार संहिता का हवाला देकर लोगों के कामों के मना करना भी प्रमुख कारण है। एक आम धारणा के अनुसार ज्यादातर लोगों की मानसिकता ही ऐसी बन गई है कि आचार संहिता लागू होने पर सारे सरकारी काम बंद हो जाते हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। तो यहाँ आपको बता दे कि इस दौरान आपकी जिंदगी से जुड़े जरूरी कामों पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। इन अधिकारों को जानते रहें, लेकिन खास बात यह कि क्या नहीं करना इसका ज्यादा खयाल रखें, अन्यथा कइयों को जेल की हवा भी खानी पड़ जाती है।
आचार संहिता लागू होने के बाद भी ये 10 काम किये जा सकते है :-
- 1. बिजली-पानी संबंधित काम
- 2. सड़कों की मरम्मत का काम
- 3. जाति प्रमाण पत्र बनवाना
- 4. पेंशन बनवाना
- 5. साफ-सफाई संबंधी काम
- 6. इलाज के लिए आर्थिक सहयोग लेने जैसे काम
- 7. आधार कार्ड बनवाना
- 8. चालू प्रोजेक्ट पर भी कोई रोक नहीं लगेगी
- 9. आचार संहिता का बहाना बनाकर कोई अधिकारी आपके ये जरूरी काम नहीं टाल सकता
- 10. जिन लोगों ने मकान के नक्शे के लिए पहले ही आवेदन दे दिया है उनके नक्शे पास होंगे, लेकिन इसके लिए नए आवेदन नहीं लिए जाएंगे ।
आचार संहिता के कारण इन पर रहेगी पाबंदी, अर्थात नहीं कर सकेंगे ये काम :-
- 1. नए कामों की स्वीकृति बंद होगी.सार्वजनिक उद्घाटन, शिलान्यास बंद।
- 2. सरकारी वाहनों में नहीं लगेंगे सायरन।
- 3. सरकार की उपलब्धियों वाले लगे हुए होर्डिंग्स हटाए जाएंगे।
- 4. संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में नहीं होंगे शासकीय दौरे।
- 5. सार्वजनिक उद्घाटन, शिलान्यास बंद।
- 6. सरकार की उपलब्धियों पर अपने वहां पर होर्डिंग्स नहीं लगेंगे।
- 7. सरकारी भवनों में पीएम, सीएम, मंत्री, राजनीतिक व्यक्तियों के फोटो निषेध रहेंगे।
- 8. सरकार की उपलब्धियों वाले प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और अन्य मीडिया में विज्ञापन नहीं दे सकेंगे।
- 9. किसी तरह के रिश्वत या प्रलोभन से बचें. रिश्वत का देंन -लेंन न करे।
- 10. सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर खास रखें ध्यान। आपकी एक पोस्ट आपको जेल भेजने के लिए काफी हो सकती है। इसलिए किसी तरह की पोस्ट, मैसेज को शेयर करने या लिखने से पहले आचार संहिता के नियमों को ध्यान में रखे।
देश में 2023 में आचार संहिता कहां लगी है?
वर्ष 2023 में भारत में विधानसभा के लिए आम चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा 18 जनवरी 2023 को की गई थी जिसके तहत केंद्र शासित प्रदेशों में जैसे - नागालैंड (27 फर.2023) , मेघालय (27 फर.2023), और त्रिपुरा(16 फर.2023) आदि राज्यों में एकल चरण चुनाव की घोषणा के साथ आचार संहिता लागू की गई।
राजस्थान में 2023 में आचार संहिता कब लगेगी ?
राजस्थान राज्य में विधानसभा चुनाव अक्टूबर महीने की शुरुआती दिनों में शुरू होने की संभावना है अथवा राजस्थान में 200 सदस्यों वाली विधानसभा चुनाव की तारीख 4 अक्टूबर 2023 के बाद घोषित होने की संभावना बन रही है। इसी तरह केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से इन चुनाव की तारीख की घोषणा होने पर राजस्थान में अक्टूबर माह में आचार संहिता लागू की जाने की संभावना है ।
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